
उन्नाव
कल्याणी नदी में जल नहीं बिछा जलकुंभी का जाल
72 किलोमीटर, लंबी नदी में जलकुंभी तो कहीं झाड़ियां, हरदोई के गौरा से निकल उन्नाव कानपुर क्षेत्र में गंगा से होता मिलाप हुआ
माधौगंज से परियर तक कल्याणी नदी एक नजर में
कल्याणी नदी की लंबाई – 72 किलोमीटर
नदी की चौड़ाई 15 मीटर (औसत)
कल्याणी नदी में गांवों की भूमि-100 से अधिक
उद्गम – जनपद हरदोई के ग्राम गौरा ब्लाक माधौगंज से।
उन्नाव जनपद में प्रवेश – बांगरमऊ तहसील के गांव कुशराजपुर के मजरा लोनारी गांव से।
ब्लाक क्षेत्र- गंजमुरादाबाद, बांगरमऊ, फतेहपुर चौरासी, सफीपुर, सिकंदरपुर सरोसी
नदी से जुड़े गांवों- 120 (जनपद उन्नाव के)
नदी किनारे की आबादी – 50 हजार (लगभग)
नदी के दुर्दिन – दो दशक से।
नदी से सिंचित भूमि- 1500 हेक्टेयर (लगभग)
पुनरुद्धार के लिए बनाई गई अंतिम योजना- मई 2022-23
पुनरुद्धार के लिए प्रस्तावित क्षेत्र 24 किलोमीटर

आपको बता दे कि दशकों तक उन्नाव जनपद की तीन तहसीलों के हजारों किसानों के लिए वरदान बनी कल्याणी, गुम हो गई है। उसका अस्तित्व खतरे में हैं। बचाव के लिए अब तक हुई सारी कवायदें बेकार गई। हरदोई जनपद के गौरा गांव से चल कर करीब 72 किलोमीटर क्षेत्र में फैली कल्याणी में जलप्रवाह होता है ।तो गंगा में बाढ़ के बाद। शेष समय यहां जलकुंभी का जंगल, उड़ती धूल ही नजर आती है। कटरी के किसानों के लिए सिंचाई का एक साधन अब बेकार हो चुका है।
कल्याणी नदी जिसका उद्गम हरदोई जनपद के माधौगंज तहसील के गौरा गांव से हुआ है। इसके बाद बांगरमऊ उन्नाव जनपद की सीमा जिले में प्रवेश करती हैं और उन्नाव कानपुर क्षेत्र में गंगा में मिलाप होता है। इस तरह करीब 72 किलोमीटर भू भाग में फैली किसानों के लिए वरदान कही जाने वाली नदी में 90 के दशक तक जल कलकल करता था। जिससे हर कोई आल्हादित हुआ करता था। उस समय न तो खेत में पानी की चिंता सताती थी न ही मवेशियों के लिए पानी का इंतजाम तलाशना पड़ता था।
बांगरमऊ, सफीपुर और सदर तहसील के 120 से अधिक गांवों के खेत खलिहान इसी नदी के जल से हरे भरे रहते थे।
इसके बाद कुछ ऐसी उपेक्षा हुई कि आज नदी का अस्तित्व ही खतरे में पड़ चुका है। हालात यह हो गए हैं कि पानी के लिए यहां के लोगों को तरह तरह के जतन करने पड़ते हैं। कहने के लिए अब कल्याणी नदी बची है, हकीकत में यहां कुछ भी नहीं है। जहां कहीं पर भी थोड़ा बहुत पानी हैं तो वहां पर जलकुंभी का जाल बिछ गया है। शेष में या तो धूल उड़
रही है या फिर झाड़ियां खड़ी हैं। बिल्हौर मार्ग पर पुल के करीब गंदे नाले का पानी भरा है।
कुछ दिन चली कल्याणी उद्धार की कहानी कल्याणी नदी के उत्थान के लिए मई 2022 में सिंचाई विभाग ने 24 किलोमीटर भाग का सर्वे करते हुए रिपोर्ट तैयार की थी। जिसके बाद मनरेगा योजना से जोड़कर बांगरमऊ क्षेत्र के गांव ततियापुर के निकट इसमें खोदाई का काम शुरू हुआ। जिसके बाद कल्याणी ने जलप्रवाह की उम्मीद जागी। लेकिन वह उम्मीद तीन साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। मनरेगा
से कई चक्रों में काम हो चुका है। सिंचाई विभाग और निजी एजेंसी के माध्यम से अब तक तीन सर्वे हो चुके हैं। कुछ दिन अतिक्रमण खत्म करने के लिए राजस्व विभाग का अभियान भी चला, लेकिन जलधार आई न ही नदी अतिक्रमण मुक्त समाप्त हुए। हालांकि मौजूद डीएम गौरांग राठी भी कल्याणी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। बीते दिनों हुई गंगा समिति की बैठक में भी कल्याणी का मुद्दा पूरे समय चर्चा में रहा, लेकिन नतीजे कुछ खास नहीं आए।
गांव जहां से गुजरती थी कल्याणी
ग्राम लोनारी से प्रवेश करने के बाद बांगरमऊ के मदार नगर, कमलापुर होते हुए हफीजाबाद, दौलतपुर, शाहपुर खुर्द, गोरीमऊ, फतेहपुर चौरासी, जमुरुद्दीनपुर, सूसूमऊ, ददलहा, कोलवा, कंसाखेड़ा, करीमाबाद, शेरपुर, सेवापुरवा, रूपपुर, कंसापुरवा, जमुनिहा, पाल्हेपुर, देवीपुरवा मरौंदा, मारौंदा सूचित, कटरी मरौंदा, मझवारा, परियर, पुरवा, बहरौला, बसधना के पास गंगा नदी में मिल जाती है।
रिपोर्ट RPS समाचार