
सनातन की आस्था… 151 किलो की कांवड़ लेकर चले मुस्लिम दोस्त, बोले- ‘सनातनी पहले मुसलमान बाद में’
आगरा के साजिद और सनी नामक दो मुस्लिम भाइयों ने कांवड़ यात्रा कर मिसाल पेश की। माता-पिता की इच्छा का सम्मान करते हुए उन्होंने 151 किलो गंगा जल की कांवड़ उठाई। उनका कहना है कि वे पहले सनातनी हैं और भगवान शिव उनके आराध्य हैं। पुरोहित जी ने विधि-विधान से उन्हें विदा किया और वे उत्साहपूर्वक अपनी यात्रा पर निकले।
मुस्लिम भाइयों ने की कांवड़ यात्रा
माता-पिता की इच्छा का सम्मान
सनातनी पहले, मुस्लिम बाद में
सनातन की बात ही कुछ ऐसी है, जो आगरा के दो मुस्लिम दोस्त को रोक नहीं पाई। वे अपने जत्थे के साथ गंगा घाट पर पहुंचे और भागीरथ बनकर 151 किलो गंगा जल की कांवड़ लेकर गंतव्य को निकल पड़े। दोनों कहते हैं कि माता और पिता की इच्छा थी कि कांवड़ लेकर आएं और भगवान शिव का अभिषेक करें। शिव बहुत दयालु हैं, हमने सुन रखा है। हम सनातनी पहले मुस्लिम बाद में हैं। शुक्रवार को कांवड़ लेकर जसराना पहुंच गए।
आगरा जिले के थाना बाह क्षेत्र के गांव कृषा के रहने वाले 25 वर्षीय साजिद खान और उनके दोस्त 22 वर्षीय सनी खान 151 किलो की कांवड़ लेकर बटेश्वर जा रहे हैं। वे वहां 14 जुलाई को भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे। दोनों दोस्त कांवड़ यात्रा पर पहली बार आए हैं, लेकिन बहुत उत्साहित हैं। कह रहे हैं कि अपने गांव के तमाम लोगों को कई वर्षों से कांवड़ ले जाते हुए देख रहे थे।
दोनों भाई बोले माता-पिता की इच्छा थी कि हम कांवड़ लाएं
भगवान शिव की महिमा के बारे में सुन रखा है। इस बार अपने माता-पिता के समक्ष इच्छा प्रकट की कि हम भी कांवड़ लेकर आएंगे, तो वे तत्काल तैयार हो गए और इसके बाद अपने 10 सदस्यीय जत्थे के साथ सोरों के लहरा घाट पर आ गए, जहां से कांवड़ यात्रा शुरू कर दी। बोले कि थोड़ा ब्रेक लेकर चलना पड़ता है क्योंकि 151 किलो का वजन बहुत होता है, लेकिन गंतव्य तक पहुंचेंगे और भोले भंडारी का गंगाजल से अभिषेक करेंगे। यह भी बोले कि पुरोहितजी ने पूरे विधि-विधान, पूजा-अर्चना के साथ हमें गंगा घाट से विदा किया है। जमीन पर कांवड़ नहीं रखेंगे।
कांवड़ ले जाकर मिलेगा सुकून, माता-पिता की करेंगे सेवा
पूछा कि थकान हो रही है तो बोले कि थकान कैसी, जो कांवड़ लेकर जाता है उसमें अपने आप ताकत आ जाती है। साफ पूछा गया कि आप मुस्लिम हैं और कांवड़ लेकर जा रहे हैं, तो बीच में ही साजिद बोले, पहले तो हम सनातनी हैं, मुस्लिम बाद में। सवाल आस्था का है तो भगवान शिव भी हमारे आराध्य हैं। इन कांवड़ यात्रियों का जोश, जज्बा और जुनून देखते ही बनता है।