उन्नाव रेप केस: पीड़िता के पिता के मर्डर मामले में कुलदीप सिंह सेंगर को 10 साल की सजा

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उन्नाव रेप केस: पीड़िता के पिता के मर्डर मामले में कुलदीप सिंह सेंगर को 10 साल की सजा

 

चार मार्च को उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की कस्टडी डेथ के मामले में तीस हजारी कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार दिया था.

उन्नाव रेप केस: पीड़िता के पिता के मर्डर मामले में कुलदीप सिंह सेंगर को 10 साल की सजा

कुलदीप सिंह सेंगर.

उन्नाव रेप केस की पीड़िता के पिता के मर्डर मामले में दिल्ली की एक कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को दस साल की सजा सुनाई है। उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की कस्टडी डेथ के मामले में तीस हजारी कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार दिया था. इसके साथ ही 11 में से 4 आरोपी बरी किये गए थे और कुलदीप सेंगर समेत 7 लोगों को दोषी करार दिया गया था.सभी सातों दोषियों को कोर्ट ने 10-10 साल की सजा सुनाई है. और कुलदीप सिंह सेंगर और उसके भाई जयदीप सिंह सेंगर पर 10-10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

जज ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पीड़िता के सिर से पिता का साया हट गया. अब वापस अपने घर नहीं जा सकती. अपने गांव भी पीड़िता नहीं जा सकती. घर में 4 बच्चे हैं. इनमें से तीन लड़किया हैं और सभी नाबालिग हैं.

उन्हें गैर इरादतन हत्या के मामले के तहत दोषी करार दिया गया था. कोर्ट ने कहा था कि हत्या का इरादा नहीं था, लेकिन पीड़िता के पिता को बर्बरता पूर्वक मारा गया. ये ट्रायल चुनौतीपूर्ण था. कुलदीप सिंह सेंगर ने खुद को बचाने के लिए तकनीक का पूरा इस्तेमाल किया, लेकिन सीबीआई ने चुनौतीपूर्ण माहौल में अच्छा काम किया. जिन सात लोगों को इस मामले में दोषी ठहराया था, उनमें सेंगर के अलावा दो यूपी पुलिस के अधिकारी भी शामिल हैं, इनमें एक एसएचओ और एक सब इंस्पेक्टर है.जिन सात लोगों को इस मामले में दोषी ठहराया था, उनमें सेंगर के अलावा दो यूपी पुलिस के अधिकारी भी शामिल हैं, इनमें एक एसएचओ और एक सब इंस्पेक्टर है.

बता दें, नाबालिग से दुष्कर्म मामले में अदालत ने भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को 20 दिसंबर 2019 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. पीड़िता के पिता की न्यायिक हिरासत में नौ अप्रैल 2018 को मौत हो गई थी. सीबीआई ने इस मामले में कुलदीप सिंह सेंगर समेत अन्य कई लोगों पर पीड़िता के पिता की हत्या के आरोप का जांच कर रही थी. इस मामले की सुनवाई को अन्य मामलों के साथ सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली ट्रांसफर किया गया था.इस मामले में सीबीआई ने आरोपों को साबित करने के लिए पीड़िता के चाचा, मां, बहन व पिता के सहकर्मी समेत 55 गवाहों के बयान दर्ज करवाए तो वहीं बचाव पक्ष ने नौ गवाहों को पेश किया. सीबीआई के मुताबिक तीन अप्रैल 2018 को पीड़िता के पिता व आरोपी शशि प्रताप सिंह के बीच झगड़ा हुआ था. सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में कहा कि मृतक व उसका सहकर्मी उस दिन अपने गांव माखी लौट रहे थे

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