आज 12:30 बजे भारत इतिहास रचने जा रहा है

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आज 12:30 बजे भारत इतिहास रचने जा रहा है..

भारतीय रेलवे के इतिहास में आज का दिन काफी अहम साबित होने वाला है क्योंकि आज सिकंदराबाद में स्वदेश निर्मित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली कवच का परीक्षण आज सिकंदराबाद में किया जाएगा.

इसमें दो ट्रेनें पूरी रफ्तार के साथ विपरीत दिशा से एक दूसरे की तरफ बढ़ेंगी.

मुख्य बात यह है कि इनमें से एक ट्रेन में खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार होंगे तो दूसरी ट्रेन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन मौजूद रहेंगे.

लेकिन, ‘कवच’ के कारण ये दोनों ट्रेन टकराएंगी नहीं.

रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक रेल मंत्रालय ने वर्षों के शोध के बाद यह तकनीक विकसित की है.

सबसे खुशी की बात यह है कि… ‘कवच’ दुनिया की सबसे सस्ती स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली है.

जीरो एक्सीडेंट के लक्ष्य को प्राप्त करने में रेलवे की मदद के लिए स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली का निर्माण किया गया है.

कवच को इस तरह से बनाया गया है कि यह उस स्थिति में एक ट्रेन को स्वचालित रूप से रोक देगा.. जब उसे निर्धारित दूरी के भीतर उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन के होने की जानकारी मिलेगी.

वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इस डिजिटल प्रणाली के कारण मानवीय त्रुटियों जैसे कि लाल सिग्नल को नजरअंदाज करने या किसी अन्य खराबी पर ट्रेन स्वत: रुक जाएगी.

अधिकारियों ने कहा कि कवच के लगने पर संचालन खर्च 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर आएगा जबकि वैश्विक स्तर पर इस तरह की सुरक्षा प्रणाली का खर्च प्रति किलोमीटर करीब दो करोड़ रुपये है.

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सनतनगर-शंकरपल्ली मार्ग पर सिस्टम के परीक्षण का हिस्सा बनने के लिए आज सिकंदराबाद पहुंचेंगे.

एक अधिकारी ने कहा कि रेल मंत्री और रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष चार मार्च को होने वाले परीक्षण में भाग लेंगे.

हम दिखाएंगे कि टक्कर सुरक्षा प्रणाली तीन स्थितियों में कैसे काम करती है – आमने-सामने की टक्कर, पीछे से टक्कर और खतरे का संकेत मिलने पर.

‘कवच’ प्रणाली में उच्च आवृत्ति के रेडियो संचार का उपयोग किया जाता है.

अधिकारियों के मुताबिक कवच एसआईएल-4 (सुरक्षा मानक स्तर चार) के अनुरूप है जो किसी सुरक्षा प्रणाली का उच्चतम स्तर है.

एक बार इस प्रणाली का शुभारंभ हो जाने पर पांच किलोमीटर की सीमा के भीतर की सभी ट्रेन बगल की पटरियों पर खड़ी ट्रेन की सुरक्षा के मद्देनजर रुक जायेंगी.

कवच को 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति के लिए अनुमोदित किया गया है.

वास्तव में ही अब हमारा देश और हमारे देश की बुनियादी सेवाएं बदल रही है.

क्योंकि, पूर्ववर्ती सरकारों की तरह हिंदुस्तान का प्रत्येक नागरिक अब कोई भेड़-बकरी नहीं बल्कि सम्मानित हिंदुस्तानी है.
रिपोर्ट गिरीश त्रिपाठी

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