ASI का हाथ काट भागने वालों में महिला भी थी शामिल, तलाशी में लाखों रुपए और हथियार मिले

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ASI का हाथ काट भागने वालों में महिला भी थी शामिल, तलाशी में लाखों रुपए और हथियार मिले

रिपोर्ट-रघुनाथ प्रसाद शास्त्री

पटियाला में ASI का हाथ काट कर भागने वाले निहंग सिखों को पुलिस ने पकड़ लिया है। प्रशासन ने इन्हें बालबेरा गांव में स्थित एक गुरुद्वारे से पकड़ा है। पटियाला पुलिस ने बताया कि रविवार सुबह हमले के बाद यह सभी भाग कर इस गुरुद्वारे में छिप गए थे। जब पुलिस की टीम वहां पहुंची तो उनसे सरेंडर करने के लिए कहा गया। लेकिन इन लोगों ने पुलिस पर हमला कर दिया। जिसके बाद पुलिस को भी फायरिंग करनी पड़ी। इस हमले में एक निहंग सिख को गोली लगी है जो जख्मी है।_
_पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘ड्यूटी पर तैनात पुलिस पार्टी पर हमला किया गया। जिसमें ASI का हाथ कट गया और 6 अन्य पुलिस के जवान जख्मी हो गए। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। मैंने प्रशासन को निर्देश दिया है कि जो भी कानून-व्यवस्था को तोड़ता है उसके साथ सख्ती से निपटा जाए।_
_न्यूज एजेंसी ‘ANI’ के मुताबिक हमले के आरोप में अब तक 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। एसएसपी मंदीप सिंह ने बताया कि बंदूक और पेट्रोल बम इनके पास से बरामद किया गया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि गुरुद्वारे से 35 लाख रुपए कैश मिले हैं। इसके अलावा एक महिला को भी गिरफ्तार किया गया है।इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ वकील एसएस फुलका ने कहा कि ‘मैंने पंजाब के डीजीपी से से आग्रह किया है कि इस मामले में 2 दिनों के अंदर चार्जशीट फाइल की जाए और 10 दिनों के अंदर ट्रायल खत्म कर दिया जाए। दोषियों को उम्रकैद की सजा होनी चाहिए ताकि पूरे देश को एक मैसेज दिया जा सके।_
_बता दें कि पटियाला में कर्फ्यू के दौरान जब निहंग सिखों से आज सुबह पास दिखाने के लिए पुलिस ने पूछा तब उन्होंने उनपर घातक हमला कर दिया और वहां से फरार हो गए थे कौन होते हैं निहंग सिख
परंपरागत हथियार रखने वाले सिखों को ही निहंग सिख माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह सिख पूर्ण रूप से दसम गुरुओं के आदेशों के लिए हर समय तत्पर रहते हैं। माना जाता है कि दसम गुरुओं के काल में ये सिख गुरु साहिबानों के प्रबल प्रहरी होते थे। यह भी कहा जाता है कि सिख धर्म पर हमला हो जाए तो ये निहंग सिख उस समय अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना “सिख” और “गुरु ग्रंथ साहिब” की आखिरी सांस तक रक्षा करते हैं।_

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