रबी मौसम की प्रमुख फसल गेहूँ में लगने वाले सामायिक कीट, रोग एवं खरपतवार नियंत्रण हेतु एडवाइजरी:
उन्नाव।

जिला कृषि रक्षा अधिकारी विकास शुक्ला ने बताया कि रबी की प्रमुख फसलों मे गेहूँ का प्रमुख स्थान है। इसमें लगने वाले सामायिक कीट, रोग एवम खरपतवार प्रबंधन करके उत्पादन में होने वाली क्षति को 30 प्रतिशत तक रोका जा सकता है तथा कृषकों की आय में बढ़ोतरी की जा सकती है।
उन्होंने बतया कि गेहूँ भूमि एवम बीज शोधन-अनावृत कंडुआ एवम करनाल बन्ट के नियन्त्रण हेतु थीरम 75 प्रतिशत डब्लू0एस0अथवा कार्बेंन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लू0वी0 की 2-5 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा0 बीज की दर से बीज शोधन कर बुवाई करनी चाहिये। ब्यूवेरिया बैसियाना 1-15 प्रतिशत की 2-5 किग्रा0 मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 60 से 70 किग्रा0 गोबर की खाद में मिलाकर हल्के पानी का छीटा देकर 8 से 10 दिन तक छाया में रखने के उपरांत बुवाई के पहले आखिरी जुताई पर भूमि में मिला देने से दीमक सहित भूमि जनित किटों का नियंत्रण हो जाता है। भूमि जनित एवम बीज जनित रोगों से नियंत्रण हेतु ट्राईकोडरमा विरडी 1 प्रतिशत डब्लू0पी0 अथवा ट्राईकोडरमा हारजिएनम 2 प्रतिशत डब्लू0पी0 की 2-5 किग्रा0 मात्रा से 60 से 70 किग्रा0 गोबर की खाद में मिलाकर हल्के पानी का छीटा देकर 8 से 10 दिन तक छाया में रखने के उपरांत बुवाई के पूर्व आखिरी जुताई पर भूमि में मिला देना चाहिये।
खरपतवार प्रबंधन-सकरी पत्ती वाले खरपतवार जैसे गेहुंसा एवम जंगली जैई के नियंत्रण हेतु आइसोप्रोटयूरान 75 प्रतिशत डब्ल0पी0 1-25 किग्रा अथवा सल्फोसल्फयूरान 75 प्रतिशत डब्लू0जी0 33 ग्राम अथवा क्लोडिनाफाप प्रोपैरजिल 15 प्रतिशत डब्लू0पी0 400 ग्राम मात्रा 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के 20 से 25 दिन के बाद फ्लैटफैन नाजिल से छिड़काव करना चाहिये। चैड़ी पत्ती खरपतवार जैसे बथुआ, सेंजी, कृष्णनील, हिरनखुरी, चटरी-मटरी, जंगली गाजर आदि के नियंत्रण हेतु 2-4 डी0 सोडियम साल्ट 80 प्रतिशत टेक्निकल की 625 ग्राम अथवा 2-4 डी0 मिथाइल एमाइन साल्ट 58 प्रतिशत एस0एल0 1-25 लीटर मात्रा अथवा मेटसल्फ्यूरान मिथाइल 20 प्रतिशत डब्लू0पी0 20 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के 20 से 25 दिन के बाद फ्लैटफैन नाजिल से छिड़काव करना चाहिये। चैड़ी एवम सकरी पत्ती दोनो खरपतवारो के नियंत्रण हेतु सल्फयूरान 75 प्रतिशत़मेटसल्फयूरान मिथाइल 05 प्रतिशत डब्लू0जी0 40 ग्राम (2-5 यूनिट) को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रथम सिंचाई के बाद 25 से 30 दिन की अवस्था पर फ्लैटफैन नाजिल से छिड़काव करना चाहिय।
कीट/रोग प्रबंधन दीमक एवम गुजिया वीविल के नियंत्रण हेतु क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ई0सी0 2-5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्र्योग करना चाहिये। अनावृत कंडुआ एवम करनाल बन्ट के नियन्त्रण हेतु प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत इ0सी0 500 मिली मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिये।