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कथावाचक ओमप्रकाश शास्त्री ने केवट प्रसंग का किया बखान

उन्नाव
सराय फतेहपुर चौरासी में तकदीर सिंह के आवास चल रही श्रीमद्भागवत कथा में कथावाचक ओमप्रकाश शास्त्री ने श्रीराम वनवास व केवट प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि श्रीराम ने अपने पिता के वचन का पालन किया और राजा दशरथ ने अपनी पत्नी को दिए वचनों का पालन किया।
श्री शास्त्री ने बहुत सुंदर कथा का वर्णन करते हुए कहा कि श्रीराम ने केवट से नाव मांगी, पर वह लाने के लिये तैयार नहीं था। वह कहने लगा- मैंने तुम्हारा मर्म जनता हूं। तुम्हारे चरण कमलों की धूल में लोग कहते हैं कि वह मनुष्य बना देने वाली कोई खास जड़ी है।
कुछ दिन पूर्व एक बड़ा पत्थर की सिला आपकी धूल से नारी बनकर उड़ गई थी इस लिए पहले पांव धुलवाओ, फिर नाव पर चढ़ाऊंगा।
मुझे डर है कही मेरी नाव नारी बन गयी तो मै क्या करूगां मेरे परिवार का भरण पोषण कैसे होगा मेरा परिवार भूखो मर जायेगा।
केवट प्रभु श्रीराम का अनन्य भक्त था। अयोध्या के राजकुमार केवट जैसे सामान्यजन का निहोरा कर रहे हैं। यह समाज की व्यवस्था की अद्भुत घटना है। केवट चाहता है कि वह अयोध्या के राजकुमार को छुए। उनका सान्निध्य प्राप्त करें। उनके साथ नाव में बैठकर अपना खोया हुआ सामाजिक अधिकार प्राप्त करें। अपने संपूर्ण जीवन की मजूरी का फल पा जाए। श्रीराम वह सब करते हैं, जैसा केवट चाहता है। उसके श्रम को पूरा मान-सम्मान देते हैं। केवट रामराज्य का प्रथम नागरिक बन जाता है। राम त्रेता युग की संपूर्ण समाज व्यवस्था के केंद्र में हैं, इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं है। उसके स्थान को समाज में ऊंचा करते हैं। श्रीराम की संघर्ष और विजय यात्रा में उसके दाय को बड़प्पन देते हैं। त्रेता के संपूर्ण समाज में केवट की प्रतिष्ठा करते हैं।
आरती शास्त्री ने भजन गाकर भक्तों को मंत्रमुग् किया ,कथा में कथा स्रोता पंकज सिंह सपत्नी सहित श्रीपाल शर्मा,रामकृष्ण सुक्ला शिक्षक सहित कई शिक्षक व रघुनाथ प्रसाद शास्त्री सहित काफी श्रद्धालुओं की भीड़ रही अंत में आरती कर प्रसाद वितरण किया गया।