Friday, November 22, 2024
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श्रीमती मुन्नी देवी शिक्षण संस्थान शाहबाजपुर में मनाया गया धूमधाम से 71 वां गणतंत्र दिवस

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श्रीमती मुन्नी देवी शिक्षण संस्थान शाहबाजपुर में मनाया गया धूमधाम से 71 वां गणतंत्र दिवस

    
उन्नाव
 मुन्नी देवी शिक्षण संस्थान शाहबाजपुर में मनाया गया धूमधाम से 71 वां गणतंत्र दिवस इस मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर भारतीय जनता पार्टी की अवध क्षेत्र की मंत्री ममता सिंह ने बच्चों को पुरस्कार वितरित किए।बच्चों ने प्रस्तुत किया रंगारंग कार्यक्रम देशभक्ति के गीतों पर झूमे लोग।इस मौके पर अवध क्षेत्र की भाजपा नेत्री ममता सिंह ने कहा कि स्वाधीनता प्राप्ति की घड़ी में भारत माता की आँखें छलक पड़ी थीं।इस सच की अनुभूति उस समय सभी ने की थी, परन्तु इस तथ्य को कम ही लोग अनुभव कर पाये थे कि भारत माँ की एक आँख में खुशी के आँसू छलक रहे थे, जबकि उसकी दूसरी आँख दुःख के आँसुओं से डबडबायी हुई थी। खुशी स्वाधीनता की थी और दुःख विभाजन का था।

अपनी ही संतानों ने माता के अस्तित्व एवं अस्मिता के हिस्से को काटकर अलग कर दिया था। विभाजन की यह पीड़ा बड़ी दारुण थी और यातना बड़ी असहनीय। फिर भी उम्मीद थी कि स्वाधीन देशवासी सम्भवतः समझदार हो जायेंगे और अपनी माँ को अब यह दर्द न देंगे।परन्तु दुर्देव और दुर्भाग्य-स्वाधीनता प्राप्ति के वर्ष पर वर्ष बीतते गये और विभाजन के नये-नये रूप सामने आते गये।भूमि तो नहीं बँटी पर भावनाएँ बँटती गयीं। भूगोल तो वही रहा,परन्तु उसमें खिंची संवेदनाओं की लकीरें मिटती गयीं।संवेदनाओं की सरिता को सोखने वाले, इसे दूषित-कलुषित करने वाले विभाजनों के कितने ही रूप सामने आते गये। विभाजन धर्म के नाम पर, विभाजन जाति के नाम पर, विभाजन भाषा के, विभाजन साम्प्रदायिकता और क्षेत्रीयता के। अब तो इनकी संख्या इतनी ज्यादा बढ़ गयी है कि इन्हें ठीक से गिन पाना भी मुश्किल है।स्वाधीनता की हर वर्षगाँठ पर भारत माता की आँखें छलकती तो जरूर हैं,परन्तु यह अनुभूति गिने-चुने लोग ही कर पाते हैं।कि अब उसकी दोनों आँखों में खुशी के आँसू नहीं दुःख के आँसू डबडबा रहे हैं। इस वर्ष की स्थिति तो और बदतर है।आज स्वाधीनता दिवस पर भारत माता की आँखें फिर से आँसुओं से भरी हुई हैं।लेकिन ये आँसू खून के आँसू हैं। इनमें जातीयता के संघर्ष का खून है।अब उससे सही नहीं जा रही इन नित-नये विभाजनों की पीड़ा।हालाँकि यह अनुभूति प्रत्येक भारतवासी का राष्ट्रीय कर्त्तव्य है। उसे अपनी इसी कर्त्तव्य निष्ठा में अपने धर्म, जाति एवं क्षेत्रीयता को विलीन कर देना चाहिए।इस मौके पर विद्यालय प्रबंधक विजय बहादुर सिंह ने आए हुए सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया तथा प्रधानाध्यापक नीलम सिंह ने आए हुए सभी लोगों का स्वागत किया।

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