उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूंछा बेहटा मुजावर थानें हेतु पुलिस आवास की धनराशि क्यों नहीं स्वीकृत की गई, दो सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करे
बांगरमऊ ,उन्नाव।

नवसृजित थाना बेहटा मुजावर में पुलिस आवास के लिए अभी तक कोई धनराशि स्वीकृत न किए जाने पर आज उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को 2 सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश जारी करते हुए कहा कि अब तक पुलिस आवास की धनराशि क्यों नहीं स्वीकृत की गई।
मालूम हो कि तहसील क्षेत्र के ग्राम इस्माइलपुर आंबापारा (कुर्मिन खेड़ा) निवासी उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ के वरिष्ठ यश भारती अधिवक्ता तथा प्रमुख समाजसेवी फारूक अहमद एडवोकेट ने बांगरमऊ थाने को विभाजित कर बेहटा मुजावर को नया थाना बनाने के संबंध में वर्ष 2014 में एक जनहित याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय द्वारा पारित 11 नवंबर 2019 के आदेश के अनुपालन में उत्तर प्रदेश सरकार ने 14 नवंबर 2019 को बांगरमऊ थाने को विभाजित कर बेहटा मुजावर को नया थाना घोषित किया था। और 45 पुलिसकर्मियों की तैनाती दिनांक 15 नवंबर 2019 को कर दी थी। परंतु थाने का कोई भवन नहीं था। दो पुराने कमरों जहाँ से पुलिस चौकी संचालित होती थी वहीं से नवसृजित थाना बेहटा मुजावर को संचालित कर दिया गया था। उसके बाद 7 जनवरी 2020 को अधिवक्ता फारूक अहमद ने थाने का भवन व पुलिस आवास बनाने के लिए उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 17 जनवरी 2020 व 20 जनवरी 2020 के अनुपालन में उत्तर प्रदेश सरकार ने दिनांक 29 जनवरी 2020 को थाना भवन हेतु 06 करोड़ 04 लाख रुपये स्वीकृत किए थे। परंतु पुलिसकर्मियों के आवास हेतु कोई धनराशि स्वीकृत नहीं की गई। इसके बाद दिनांक 27 अगस्त 2021 को उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि पुलिस आवास के लिए अभी तक कोई धनराशि स्वीकृत क्यों नहीं की गई। जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिन्दल व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह ने सुनवाई करने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार को 2 सप्ताह में जवाब दाखिल करने हेतु निर्देश जारी करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार बताए कि अब तक पुलिस आवास की धनराशि स्वीकृत क्यों नहीं की गई। और अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद 25 नवंबर 2021 को सुनिश्चित की है।।