मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों को पिछले करीब 5 वर्षों से सरकार द्वारा मानदेय का भुगतान नहीं किया गया

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मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों को पिछले करीब 5 वर्षों से सरकार द्वारा मानदेय का भुगतान नहीं किया गया

रिपोर्ट-गिरीश त्रिपाठी स्वतंत्र पत्रकार

बांगरमऊ, उन्नाव।
मदरसों में आधुनिक विषय पढ़ा रहे मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों को पिछले करीब 5 वर्षों से सरकार द्वारा मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है जिसके चलते उनके परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। सरकार द्वारा इन शिक्षकों की भारी उपेक्षा किये जाने के कारण इन शिक्षकों में सरकार के प्रति भारी रोष बढ़ता जा रहा है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित मदरसा आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत विभिन्न मदरसों में आधुनिक विषय हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान व सामाजिक विज्ञान जैसे आधुनिक विषय पढ़ा रहे इन मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों को पिछले करीब 5 वर्षों से सरकार द्वारा मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है जिसके चलते इनके परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं और कई शिक्षक भीषण आर्थिक कंगाली के कारण स्वर्ग भी सिधार चुके हैं। इन शिक्षकों द्वारा लगातार जिला मुख्यालय से लेकर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तथा देश की राजधानी दिल्ली में भी तमाम बार धरना- प्रदर्शन किए गए लेकिन सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। भीषण आर्थिक तंगी से जूझ रहे कई शिक्षक स्वर्ग सिधार चुके हैं और तमाम शिक्षकों ने धीरे धीरे इस नौकरी को भी छोड़ना शुरू कर दिया है। शिक्षकों का यह भी मानना है कि सरकार पिछला बकाया मानदेय का भुगतान करके इस योजना को बंद कर दें तो हम लोग कोई भी छोटा-मोटा कारोबार या धंधा कर लेंगे।
मालूम हो कि सन 1993 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा ये मदरसा आधुनिकीकरण योजना लागू की गई थी जिसके अंतर्गत संविदा पर इन शिक्षकों की नियुक्त की गई थी। पिछले करीब 27 वर्षों से शिक्षण कार्य कर रहे इन शिक्षकों को कभी भी समय से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया। और सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इन शिक्षकों का अभी तक नियमितीकरण तो दूर इनकी सेवा नियमावली तक नहीं बनाई गई है और हमेशा सरकार द्वारा इनका शोषण किया जाता रहा है। इन शिक्षकों के साथ सरकार द्वारा की जा रही भारी उपेक्षा के कारण इन शिक्षकों में सरकार के प्रति भारी रोष बढ़ता जा रहा है।

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