।। शिव का ग्यारहवें रूद्र अवतार हनुमान ।।

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।। शिव का ग्यारहवें रूद्र अवतार हनुमान ।।

हिंदू धर्म ग्रंथ पुराणों के अनुसार भगवान शिव ही समस्त सृष्टि के आदि कारण हैं। उन्हीं से ब्रह्मा, विष्णु सहित समस्त सृष्टि का उद्भव होता हैं। जिस प्रकार विष्णु के २४ अवतार हैं उसी प्रकार शिव के भी २८ अवतार हैं। इन्हीं में से शिव का ११वां रूद्र अवतार हनुमान का था।

शास्त्रों में रामभक्त हनुमान को शिव का अवतार माना गया है। रामचरितमानस में भी इसका जिक्र है। पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान विष्णू ने धर्म की स्थापना और अपने पार्षदों जय-विजय को जन्मों से मुक्त करने के लिए राम अवतार लिया था। तब शिव ने अपने आराध्य भगवान विष्णु की मदद के लिए हनुमान अवतार लिया था।

उसी दौरान सुमैरू पर्वत के स्वामी राजा केसरी अपनी पत्नी अंजना के साथ पुत्र प्राप्ति के लिए तपस्या कर रहे थे। शिव उनके तप से प्रसन्न हुए और उन्हें मनचाहा वरदान मांगने के लिए कहा। माता अंजना ने शिव से ऐसा पुत्र मांगा जो बल में रूद्र की तरह बली हो, गति में वायु की तरह गतिमान हो और बुद्धि में गणपति की तरह तेजस्वी हो।

तब महादेव ने पवन देव के रूप में अपनी रौद्र शक्ति का अंश यज्ञ कुंड में अर्पित किया था और वही शक्ति अंजनी के गर्भ में प्रविष्ट हुई थी। फिर चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हनुमानजी का जन्म हुआ था।

कहा यह भी जाता है कि धर्म की स्थापना और रावण का अंत करने के लिए भगवान विष्णु ने राम का अवतार लिया था। उस समय कई देवताओं ने अलग-अलग रूप में भगवान राम की सेवा करने के लिए अवतार लिया था।

उसी समय भगवान शंकर ने भी अपना रूद्र अवतार लिया था और इसके पीछे वजह थी कि उनको भगवान विष्णु से दास्य का वरदान प्राप्त हुआ था। हनुमान भगवान शिव के ग्यारहवें रुद्र अवतार हैं। इस रूप में भगवान शंकर ने राम की सेवा भी की और रावण वध में उनकी मदद भी की थी।यह रचना मेरी नहीं है मगर मुझे अच्छी लगी तो आपके साथ शेयर करने का मन हुआ।🙏🏻

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