पंच देवों का वर्णन हर प्रमुख ग्रन्थों और कथाओं मे है। कोई भी शुभ कार्य हो अथवा हमाको दिन की शुरुआत इनका पूजन और इनका ध्यान करना आवश्यक है।                                                                                                         

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° 🌷 पंचदेव उपासना 🌷
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      पंच देवों का वर्णन हर प्रमुख ग्रन्थों और कथाओं मे है। कोई भी शुभ कार्य हो अथवा हमाको दिन की शुरुआत इनका पूजन और इनका ध्यान करना आवश्यक है।                                                                  भारतीय सनातन परंपरा में एक परमेश्वर की बात की गई है। लेकिन उन एक परमेश्वर इस जगत के संचालन के लिए कई वर्ग में देव, मानव, नाग, गंधर्व इत्यादि का भी सृजन किया है। हमारी सृष्टि का संचालन सुचारू रूप से चलता रहे उसके लिए कई देवी देवताओं का सृजन हुआ लेकिन इन सभी देवी देवताओं में पंच देव का नाम बहुत ही प्रमुख है।

हमारी सनातन संस्कृति में प्रतिदिन पंचदेव उपासना करने का विधान है-:

1. श्री गणेश जी-:
भगवान गणेशजी कई प्रकार की शक्तियों के दाता हैं। माता पार्वती के पुत्र और माता लक्ष्मी के मानस पुत्र के रूप मे इनके कृपा से सभी प्रकार की कामनाएँ पूरी होती है। साथ ही साथ रिद्धी सिद्धि के रूप मे इनकी पत्नियों की कृपा भी इनके पूजन मात्र से प्राप्त हो सकता है। प्रथम पूज्य गणेश के पूजन मात्र से हमे सुख समृद्धि धन वैभव इत्यादि सभी कामनाओं की पूर्ति होती हैं ।

2. सूर्य देव-:
पंच देवों में सूर्य देव भी आते है और इसके पीछे एक तर्क भी है कि सूर्य देव ही अकेले देवता है जो कि सर्व जन को दृश्यमान है। साथ ही साथ इस पृथ्वी के गति मे और इसके नियम पूर्वक संचालन मे सूर्य देव का बहुत ही ज्यादा योगदान है एवं सूर्य देव ऊर्जा के एक मात्र स्रोत भी माने जाते है इस जगत मे जो कि संसार के संचालन के लिए अति आवश्यक है।
इसी लिए मान्यता है रोज प्रातः काल स्नान इत्यादि के उपरांत हम सभी को सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए और सूर्य नमस्कार के जरिये इनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए,जिससे पूरे दिन हमारे जीवन मे स्फूर्ति और ताजगी बनी रहे।

3. श्री हरि विष्णु-:
पंच देवों मे भगवान विष्णुजी का भी नाम आता है। मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु को जगत के पालन पोषण के लिए आग्रह किया और हम सभी के पालन पोषण की ज़िम्मेदारी भगवान विष्णुजी की ही है। जब तक हमारा जीवन है हमारे जीवन के संचालन के लिए और इस जगत के और प्रकृति मे स्थिरता बनाए रखने के लिए भगवान विष्णु के आशीर्वाद की आवश्यकता होती है इनके पूजन मात्र से हमारे जीवन की बाधाएँ समाप्त होती है और हमारे जीवन मे सुख और समृद्धि का संचार होता है।

4. शक्ति -:
भारतीय दर्शन शास्त्र के अंतर्गत इस संसार एवं जगत का संचालन का कार्य पुरुष और प्रकृति के रूप मे दो प्रमुख शक्तियाँ करती है। जहां पर प्रकृति का तात्पर्य शक्ति से है जो हमारे जगत मे समानता का भाव बनाए रखने का कार्य करती है। हमारे भारतीय परंपरा मे अर्धनारीश्वर देव की व्याख्या है जिसके अनुसार केवल पुरुष मात्र पूर्णता नहीं प्रदान कर सकता बल्कि शक्ति स्वरूपा मां परांम्बा की आवश्यकता भी है इसलिए शक्ति के स्वरूप मे शक्ति मां परांम्बा का पंच देव में स्थान रखा गया है।

5. शिव-:
भारतीय सनातन परंपरा मे भगवान शिव को संहारकर्ता के रूप मे जाना जाता है। संहार कर्ता को विस्तार से समझने का प्रयास करे तो इनका कार्य इस जगत मे संतुलन बना कर रखना है। शिव ही है जो इस जगत के विचलन को संतुलित करते है जिस प्रकार से समुद्र मंथन मे सबसे पहले निकले हलाहल विष को कंठ मे धारण करके इन्होने समस्त जगत की रक्षा की। इनकी पूजा और कृपा से हम सभी के जीवन मे संतुलन बना रहता है।।

वैसे तो सनातन धर्म मे कई देवी देवताओं का वर्णन है कुछ लोग 33 कोटि देवी देवता की भी बात करते है लेकिन उपरोक्त वर्णित पंच देवों का वर्णन हर प्रमुख ग्रन्थों और कथाओं मे है। कोई भी शुभ कार्य हो अथवा हमारे दिन की शुरुआत इनका पूजन और इनका ध्यान करना आवश्यक है।
अगर हम ध्यान से देखे तो सूर्य से ऊर्जा, विष्णुजी से जीवन संचालन, शक्ति से पूर्णता, श्रीगणेश से सुख समृद्धि और शिव से संतुलन इन पंच देवों के पाँच गुणो की कृपा प्राप्त करके हम अपने जीवन को बहुत ही सुखमय और खुशहाल बना सकते है।
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