बच्चे को गोद में लिए शख्स को पीटने वाला इंस्पेक्टर तो सस्पेंड, उसे बचाते आ रहे ‘न्यायप्रिय’ SP का क्या?

एक आम आदमी के मानवाधिकार की कीमत क्या होती है, यह जानना हो तो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कानपुर देहात (Kanpur Dehat video) के वीडियो को देख लीजिए। वीडियो में दिख रहा है कि कैसे गोद में बच्चा लिए शख्स को इंस्पेक्टर साहब ने तब तक पीटा जब तक लाठी नहीं टूट गई। बच्चे का पिता चिल्लाता रहा है कि ‘साहब बच्चा है, बच्चे को लग जाएगी…’, मगर साहब का बीपी और वर्दी का गुरूर इतना हाई हो चुका था कि उन्हें ये शब्द सुनाई ही नहीं दिए। लाठी टूटने के बाद भी मन नहीं भरा तो इंस्पेक्टर साहब ने दौड़ाकर बच्चे और उसके पिता को दौड़ाकर पकड़ा। बच्चा छीनकर पीड़ित पिता को भी पुलिस की गाड़ी में डालने की पूरी कोशिश की, मगर उसके गिड़गिड़ाने और वहां मौजूद लोगों के बीच-बचाव करने पर उसे जाने दिया।
बच्चे को लाठी लगती तो क्या होता? इसके बावजूद आरोपी को बचाते रहे एसपी
यही है पुलिस का आम चेहरा…बाकी जो सोशल मीडिया या अपने आसपास आपको अच्छे पुलिसकर्मी या अधिकारी दिखते हैं, उनके अच्छे काम ऐसे क्रूर पुलिसवालों के कांड के आगे बौने साबित हो जाते हैं। कल्पना करके देखिए अगर एक लाठी उस मासूम बच्चे को लग जाती तो क्या होता? बच्चे की जान तक चली जाती और इंस्पेक्टर साहब ‘फरार’ हो जाते, ठीक आईपीएस मणिलाल पाटीदार की तरह। कभी पकड़े नहीं जाते। ऐसा इसलिए क्योंकि जिन पर ‘न्याय’ करने की जिम्मेदारी है, जो पूरे जिले की पुलिस के कस्टडियन होते हैं वही इंस्पेक्टर साहब की करतूतों पर पर्दा डालने में लगे थे। हम बात कर रहे हैं कानपुर देहात के एसपी केशव कुमार चौधरी की, जिन्होंने आरोपी इंस्पेक्टर विनोद कुमार मिश्रा को क्लीन चिट दे दी थी। एसपी साहब ने किस तरह इंस्पेक्टर को बचाने की भरसक कोशिश की, इसके लिए आप खुद उन्हीं का बयान सुन लीजिए।