गाजियाबाद में मारे गए पत्रकार विक्रम जोशी व उन्नाव में हिंदी खबर के पत्रकार संकल्प दीक्षित के ऊपर लिखे गए फर्जी मुकदमें को लेकर पत्रकार हुए एक जुट

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गाजियाबाद में मारे गए पत्रकार विक्रम जोशी व उन्नाव में हिंदी खबर के पत्रकार संकल्प दीक्षित के ऊपर लिखे गए फर्जी मुकदमें को लेकर पत्रकार हुए एक जुट

जिलाधिकारी को दो ज्ञापन देकर पत्रकारों ने निष्पक्ष कार्यवाही करनें की मांग की

पत्रकार संकल्प के ऊपर लगे फर्जी मुकदमे को लेकर बोले पत्रकार की आवाज दबाई जा रही है

वही विक्रम जोशी के मामले में की अपराधियो पर कड़ी कार्यवाही की मांग

     

रिपोर्ट- गिरीश त्रिपाठी
स्वतंत्र पत्रकार /मुख्य संवाददाता
आर पी एस समाचार

उन्नाव
जनपद के प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रमुख पत्रकारों ने जिलाधिकारी रविंद्र कुमार को अलग-अलग
मुख्यमंत्री के नाम संबोधित दो ज्ञापनों को सौंपते हुए कहा है कि प्रदेश में लगातार पत्रकारों पर हो रहे अत्याचार व हत्या की घटना से चौथा स्तंभ भी खतरे में आ गया है। जिस तरीके से गाजियाबाद में पत्रकार विक्रम जोशी की दबंगों ने हत्या कर दी उसकी जितनी निंदा की जाए कम है। वह भी पत्रकार की हत्या इसलिए कर दी गई कि उसने अपने भतीजी के साथ छेड़छाड़ की घटना का विरोध करते हुए दबंगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत की थी ।मगर पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की जिससे दबंगों के हौसले इतनें बुलन्द हो गए कि उन लोगों ने पत्रकार की हत्या कर दी ।पत्रकारों नें जोशी के मामले की जांच के साथ ही दोषियों के खिलाफ ऐसी कड़ी कार्यवाही करने की मांग की हैं जो दूसरों के लिए नजीर बन सके।
जिलाधिकारी को दिये गए दूसरे ज्ञापन में पत्रकारों नें बताया कि हम सब मीडिया संस्थानों व विभिन्न माध्यमों से पत्रकारिता करते हैं। सब पत्रकार पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ जनता की समस्याओं को सरकार तक लाना चाहते हैं जिससे जनता की समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट हो और कानून का राज कायम हो सके ।लेकिन दुर्भाग्य से जनपद में तैनात अधिकारी गणों को स्वतंत्र पत्रकारिता का चेहरा नागवार गुजर रहा है। जिससे जनपद के पत्रकारों पर विभिन्न माध्यमों से दबाव बनाने का कार्य करते रहे हैं। एक ताजे प्रकरण में जेल अधीक्षक उन्नाव के पत्रकारिता के क्षेत्र में एक कर्मठ जुझारू पत्रकार पर अपने पद प्रयोग करते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 211का मुकदमा दर्ज कराया है ।यह कार्य पत्रकार संघ द्वारा उनके भ्रष्टाचार और कार्य में हुई लापरवाही को उजागर करने के कारण किया गया है ।यह मुकदमा पंजीकृत करने का उद्देश्य मात्र यह जताने की कोशिश की गई है कि जेल में हो रहे भ्रष्टाचार और लापरवाही के खिलाफ सरकार तक पहुंचाने का कार्य किया तो उसका भी यही होगा ।जेल अधीक्षक एसके सिंह में भारतीय संविधान की मूल भावना में स्थापित जनता के मूल अधिकारों का गला घोटने का कार्य किया है ।इसके अतिरिक्त फतेहपुरचौरासी क्षेत्र में राष्ट्रीय सहारा अखबार के संवाददाता पर बिना किसी जांच के मुकदमा दर्ज कराया गया है।ज्ञापन में कहा गया है कि इस तरह के कार्य बहुत ही निंदनीय है।मामले में ठोस कार्यबाही करनें की मांग की गई है।ज्ञापन देनें वालों में
प्रमुख रूप से राष्ट्रीय सहारा के जिला प्रतिनिधि अखिलेश अवस्थी, दैनिक जागरण से धीरेंद्र सिंह पिंकू, अमर उजाला से शुभम निगम ,कानपुर आज से सत्यम सिंह पटेल, मयंक तिवारी,इलेक्ट्रॉनिक चैनलों से आज तक से विशाल सिंह , ए बी पी से आशीष गौरव गौड़, भारत समाचार से अनुराज भारती, न्यूज इंडिया से गौरव शर्मा, न्यूज नेशन से राहुल शुक्ला , ए एन आई से दया शंकर यादव,अपना प्रदेश लाइव से प्राचीन्द्र मिश्रा,
विनोद निसाद, विशाल मौर्य, राहुल जायसवाल , मासिक पत्रिका से श्री कांत तिवारी ,निशा नाथ पांडेय मोना ,कृष्णा तिवारी सहित अन्य कई पत्रकार मौजूद रहे।
उधर शहर में पत्रकार_विक्रम_जोशी की हत्या पर हिन्दू जागरण मंच ने जताया रोष,निकाला कैंडल मार्च
हिन्दू जागरण मंच के प्रांतीय मंत्री एवं प्रभारी विमल द्विवेदी के नेतृत्व में गाज़ियाबाद के पत्रकार विक्रम जोशी की सरेआम जिहादियो द्वारा हत्या पर हिन्दू जागरण मंच ने शहर में बड़े चौराहे से लेकर शास्त्री प्रतिमा तक एक कैंडल मार्च निकाला व दिवंगत पत्रकार को श्रद्धांजली दी ।समय समय पर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठते रहते है क्योंकी कुछ पुलिस कर्मी आज भी ब्रिटिश काल की मानसिकता में ही काम करती है जिसका बदलना जरुरी है एवं लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ मीडिया के प्रहरियो के सम्मान एवं सुरक्षा को सुनिश्चित करना आवश्यक है क्योंकि अभी उन्नाव में भी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाने पर पत्रकार संकल्प दीक्षित पर ही फर्जी मुकदमा पुलिस द्वारा लिखकर दबाव बनाने का प्रयास किया गया था। ऐसी मानसिकता से बाहर आकर पुलिस को समाज में भयमुक्त माहौल बनाने के लिए काम करना चाहिए क्योंकि गाज़ियाबाद कांड में अगर पुलिस समय रहते कार्यवाही कर देती तो इस हत्या को रोका जा सकता था। ऐसे में जरुरी है 2006 में जारी सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशो के तहत पुलिस सुधार लागू किए जाए ।

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