ईट बनाने हेतु हस्तचालित विधि से 02 मीटर की गहराई तक साधारण मृदा /सामान्य मिट्टी की खुदाई के लिए पूर्व पर्यावरणीय सहमति की आवश्यकता नहीं होगी।

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ईट बनाने हेतु हस्तचालित विधि से 02 मीटर की गहराई तक साधारण मृदा /सामान्य मिट्टी की खुदाई के लिए पूर्व पर्यावरणीय सहमति की आवश्यकता नहीं होगी।

 

रिपोर्ट-गिरीश त्रिपाठी स्वतंत्र पत्रकार

लखनऊ

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा निर्गत ई०आइ०ए० अधिसूचना मे उल्लिखित क्रियाकलापों में छूट के अंतर्गत उत्तर प्रदेश उप खनिज परिहार नियमावली के प्रावधानों के अनुसार ईट बनाने हेतु हस्तचालित विधि से 02 मीटर की गहराई तक साधारण मृदा/ सामान्य मिट्टी की खुदाई के लिए पूर्व पर्यावरणीय सहमति की आवश्यकता नहीं होगी। इस संबंध में आवश्यक शासनादेश उत्तर प्रदेश शासन, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन अनुभाग -7 द्वारा जारी कर दिया गया है।

भूतत्व एवं खनन विभाग ,उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पहले किये गये प्राविधानो मे उल्लेख किया गया है कि ईट एवं मिट्टी के बर्तन बनाने हेतु हस्तसंचालन से खुदाई द्वारा अथवा हस्तसंचालन से साधारण मृदा ,सामान्य मिट्टी को निकालने की क्रिया, खनन संक्रियाओ के अंतर्गत नहीं आएगी, प्रतिबंध यह है कि ऐसी खुदाई अथवा खनन के फलस्वरूप उत्पन्न गड्ढों की गहराई 02 मीटर से अधिक नहीं होगी।

जारी शासनादेश में कहा गया है कि मैनुअल खनन द्वारा साधारण मिट्टी या बालू की कुम्हारों द्वारा मिट्टी के घड़े ,लैंप, खिलौने आदि बनाने के लिए उनकी प्रथाओं के अनुसार निकासी, मैनुअल खनन द्वारा मिट्टी की टाइलें बनाने द्वारा जो मिट्टी की टाइलें बनाते हैं ,के लिए साधारण मिट्टी या बालू की निकासी ,किसानों द्वारा बाढ़ के पश्चात कृषि भूमि से बालू के जमाव को हटाना ,ग्राम पंचायत में अवस्थित स्रोतों से बालू और साधारण मिट्टी को वैयक्तिक उपयोग या ग्राम में समुदाय कार्य के लिए प्रथा के अनुसार खनन, सामुदायिक कार्य जैसे ग्रामीण तालाबों या टैंको से गाद हटाना ,मनरेगा और गारंटी स्कीमो, अन्य सरकारी स्कीमों ,प्रायोजित तथा सामुदायिक प्रयास द्वारा ग्रामीण सड़कों ,तालाबों या बांधों का संनिर्माण ,सड़क ,पाइपलाइन आदि जैसे रेखीय
परियोजनाओं के लिए साधारण मिट्टी की निकासी ,निष्कासन या प्रयोग करना,बांधों तालाबों, मेडो़, बैराजों ,नदी और नहरो की उनके असुरक्षित तथा आपदा प्रबंधन के प्रयोजन के लिए तलमार्जन और गाद निकालना, पारंपरिक समुदाय द्वारा अन्तर ज्वारीय क्षेत्र के भीतर चूने के गोलों ,पवित्र स्थानों आदि की मैनुअल निकासी, सिंचाई या पेयजल के लिए कुओं की खुदाई, जिला कलेक्टर या जिला मजिस्ट्रेट या किसी अन्य सक्षम अधिकारी के आदेश पर किसी नहर ,नाला, ड्रेन ,जल निकाय आदि मे होने वाली दरार को भरने के लिए साधारण मिट्टी या बालू का उत्खनन ताकि किसी आपदा या बाढ़ जैसी स्थिति से निपटा जा सके, ऐसे क्रियाकलाप जिन्हें राज्य सरकार द्वारा विधान या नियमो के अधीन गैर खननकारी क्रियाकलाप के रूप में घोषित किया गया है,मे पूर्व पर्यावरणीय सहमति की अपेक्षा से छूट प्रदान की गई है।

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