भगवान नरसिंह के प्राक्टय दिवस पर खास रिपोर्ट

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भगवान नरसिंह के प्राक्टय दिवस पर खास रिपोर्ट

भगवान श्री विष्णु ने भक्तो की रक्षा के लिये और अधर्मीयो का नाश करने के हेतु लिया नरसिंह रौद्र अवतार

नरसिंह अवतार, भगवान विष्णु के इस रौद्र रूप को शांत करने के लिए होती है विशेष पूजा

रिपोर्ट-धर्मेद्र सिंह

सफीपुर उन्नाव

बुधवार 6 मै 2020 को भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिंह भगवान का जन्मोत्सव भाव भक्ति श्रद्धा विश्वास के साथ मनाया गया । भगवान नरसिंह ने भक्त प्रह्लाद की अटूट समर्पित भक्ति और प्रभु के प्रति अटूट विश्वास को जीवन्त करते हुये अमर कर दिया और भक्त बच्छल व पालनहार होने का प्रमाण दे दिया । इस रुप से प्रकट होकर जहाँ आतताइ अधर्मी का सर्वनाश किया वही प्रभु अपने भक्तो को उनकी हर स्थिति परिस्थिति हर हाल मे रक्षा सुरक्षा करने का बचन निभाते हुये भक्तो के विश्वास को अटल कर दिया । हम भक्तो के रक्षार्थ ऐसा भयंकर स्वरुप धारण करने वाले दयालू कृपालू भक्त बच्छल नरसिंह भगवान को बारम्बार प्रणाम करते है इस स्वरुप मे अवतार लेकर प्रभु ने भक्तो को संबल दे दिया कि अगर भक्त शिरोमणि प्रह्लाद की तरह उनकी भक्ति और समर्पण श्रद्धा विश्वास सहित करता है तो उसके मार्ग मे आने वाली हर बाधाओ को वह स्वयं दूर करते है और भक्तो की रक्षा करते है ।
पद्म पुराणके अनुसार प्राचीन समय में वैशाख मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भगवान नरसिंह प्रकट हुए थे कथा के अनुसार राक्षस हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था। इसीलिए हिरण्यकशिपु प्रहलाद पर अत्यचार करता था और कई बार उसे मारने की कोशिश भी की भगवान विष्णु ने अपने भक्त को बचाने के लिए एक खंबे से नरसिंह रूप में अवतार लिया। इनका आधा शरीर सिंह का और आधा इंसान का था। इसके बाद भगवान नरसिंह ने हिरण्यकशिपु को मार दिया।
क्यों लिया ऐसा अवतार: आधा शरीर इंसान और आधा शेर
नरसिंह रूप भगवान विष्णु का रौद्र अवतार है। ये दस अवतारों में चौथा है। नरसिंह नाम के ही अनुसार इस अवतार में भगवान का रूप आधा नर यानी मनुष्य का है और आधा शरीर सिंह यानी शेर का है। राक्षस हिरण्यकश्यप ने भगवान की तपस्या कर के चतुराई से वरदान मांगा था। जिसके अनुसार उसे कोई दिन में या रात में, मनुष्य, पशु, पक्षी कोई भी न मार सके। पानी, हवा या धरती पर, किसी भी शस्त्र से उसकी मृत्यु न हो सके। इन सब बातों को ध्यान में रख भगवान ने आधे नर और आधे मनुष्य का रूप लिया। दिन और रात के बीच यानी संध्या के समय, हवा और धरती के बीच यानी अपनी गोद में लेटाकर बिना शस्त्र के उपयोग से यानी अपने ही नाखूनों से हिरण्यकश्यप को मारा।
भगवान विष्णु का ये अवतार बताता है कि जब पाप बढ़ता है और भक्त पर अधर्मी अत्याचार करता है तो उस अधर्मी अत्याचारी का विनास करने के लिए और भक्तो की रक्षा करने के लिये प्रभु स्वयं अवतरित होते है ।
इस भक्त प्रह्लाद और हिरन्याकश्यपू के चारित्र से शिक्षा मिलती है किभक्त को भगवान पर अपने को समर्पित कर देना चाहिये अंततः जीत धर्म अर्थात भक्त की ही होती है अधर्मी का नाश होता है ।
बताते चले कि प्रतेक प्राणी को शक्ति और ज्ञान की आवश्यकता होती है चुकि शक्ति के साथ ज्ञान का उपयोग भी जरूरी हो जाता है। इसलिए ज्ञान और शक्ति दोनो एक साथ पाने के लिए भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है।
बताते है भगवान नरसिंह अधर्मीयो आतताइयो के लिये भयंकर साक्षात काल स्वरुप है किन्तु भक्तो के लिये कृपालू दयालू और रक्षक है इस बात को दृष्टिगत रखते हुये वेदो शाश्त्रो मे उन्हें ठंडक और पवित्रता के लिए चंदन चढ़ाये जाने का विधान किया गया है।
*भगवान नरसिंह से जुड़ी खास बातें*
भगवान नरसिंह की विशेष पूजा संध्या के समय की जानी चाहिए। यानी दिन खत्म होने और रात शुरू होने से पहले जो समय होता है उसे संध्याकाल कहा जाता है। पुराणों के अनुसार इसी काल में भगवान नरसिंह प्रकट हुए थे।
भगवान नरसिंह की पूजा में खासतौर से चंदन चढ़ाया जाता है और अभिषेक किया जाता है। ये भगवान विष्णु के रौद्र रूप का अवतार है। इसलिए इनका गुस्सा शांत करने के लिए चंदन चढ़ाया जाता है। जो कि शीतलता देता है। दूध, पंचामृत और पानी से किया गया अभिषेक भी इस रौद्र रूप को शांत करने के लिए किया जाता है।
पूजा के बाद भगवान नरसिंह को ठंडी चीजों का नैवेद्य लगाया जाता है। इनके भोग में ऐसी चीजें ज्यादा होती हैं जो शरीर को ठंडक पहुंचाती हैं। जैसे दही, मक्खन, तरबूज, सत्तू और ग्रीष्म ऋतुफल चढ़ाने से इनको ठंडक मिलती है और इनका गुस्सा शांत रहता है।
वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भगवान नरसिंह के प्रकट होने से इस दिन जल और अन्न का दान दिया जाता है।
परमार्थधाम भिनकीपुर के संस्थापक सन्त स्वामी रामस्वरुप बृम्ह्चारी जी महाराज ने आश्रम पर भगवान श्री विष्णु के चतुर्थ अवतारी भक्तो के रक्षक भगवान नरसिंह के अवतरण दिवस को खास बताते हुये कहा ये भक्तो के भगवान है जिन्होने भक्त के खातिर अवतार लिया और अधर्मी का विनास किया ।

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