भगवान परशुराम के प्राक्टय दिवस अक्षय तृतीया की शुभकामनाएं

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भगवान परशुराम के प्राक्टय दिवस अक्षय तृतीया की शुभकामनाएं

रिपोर्ट-धर्मेंद्र सिंह

सफीपुर-उन्नाव । अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर भगवान परशुराम की जीवन गाथा खास महत्व रखता है जिसका आम जन मानस को ज्ञान व भान नही शश्त्र और शाश्त्र के पृकाण्ड ज्ञाता शौर्य और वीरता तप त्याग तपस्या शक्ति और भक्ति के निधान(भण्डार)श्री हरि विष्णु के 6 वें आवेसावतार स्वरुप विलक्षण्ता के धनी भगवान परशुराम का जन्म इस अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर होने का गौरव प्राप्त होता है । जिनका उनके पितामह भृगु मुनि द्वारा “राम” नामकरण किया गया जबकि भगवान शिव द्वारा उन्हे परशु दिया गया जिससे उनका नाम परशुराम पडा । जिन्होने एक तरफ जहाँ वीरता शौर्य की अमिट गाथा इतिहास निर्मित किया जिनके बल पौरुख के समक्ष सभी नतमस्तक हो जाते थे । वही त्याग तप तपस्या शक्ति भक्ति के क्षेत्र मे भी पराकाष्ठा कायम की परशुराम गायत्री मंत्र साधक की मनोकामनाए पूरी करने वाला है । भगवान परशुराम ने त्याग बलिदान और पित्र भक्ति की अनूठी मिशाल कायम की है जो भक्ति व धर्म व कर्म पुरुषो के लिये प्रेयणाश्रोत आराध्य देव के रुप मे पूज्य और प्रात स्मरणीय तथा बन्द्नीय है ।
सनातन धर्मावलंबी वेद पुराणो शाश्त्रो सन्तो के माध्यम से जानते है कि त्रेता युग (रामायण काल) में परशुराम एक असाधारण मुनि थे। जिन्हे भगवान विष्णु के छठ्वे अवतार के रुप मे पूजा जाता है । पौरोणिक वृत्तान्तों के अनुसार उनका जन्म भृगु कुल श्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था। वह भगवान विष्णु के आवेशावतार भी माने जाते हैं। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार मे “राम” और जमदग्नि का पुत्र होने के कारण “जामदग्न्य” और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वह “परशुराम” के नाम से ख्यातिलब्ध हुये । जिनकी अनन्त वीर गाथाये और भक्ति गाथाये आज भी अमर है ।
जिन्होने एकादश छन्दयुक्त “शिव पंचत्वारिंशनाम स्तोत्र” भी लिखा। इच्छित फल-प्रदाता परशुराम गायत्री है-
*”ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि, तन्नोपरशुराम: प्रचोदयात्।”*।
ऐसे महान पूज्य पाद प्रभु श्री परशुराम जी के चरणौ मे कोटि कोटि नमन बन्दन करता हू ।
मै धर्मेन्द्र कुमार सिंह पुज्यपाद सर्वेश्वर श्री विष्णु भगवान के छठे अवतार ,माता रेणुका तथा जमदग्नि ऋषि के सुपुत्र , ब्राह्मण वर्ण शिरोमणी , ब्रह्मचारी ,दुष्ट अहंकारी शासकोंके कलिकाल ,महान त्यागी , चिरंजीव श्री
भगवान परशुराम जी के प्राक्टय दिवस इस अक्षय तृतीया के पावन पर्व की सभी को कोटिश: बधाई और शुभ कामनाये देने के साथ
*सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे संतु निरामया* की अपेक्षा के साथ भगवान परशुराम को डन्डवत नमन बन्दन करता हू ।
इस अवसर पर इन महान विभूति परशुराम का रामलीला मे कुशल अभिनय मंचन करने वाले क्षेत्र के सराय सकहन गांव निवासी आशीष मिश्रा अपने पिता के पदचिन्हो पर चलकर कुशल अभिनय कर रहे है उनके पिता सन्तोष मिश्रा ने जनपद प्रदेश ही नही अन्तर्राज्जीय रामलीला मंचो मे कुशल अभिनय करके ख्याति प्राप्त की है उसी प्रकार आशीष मिश्रा भी परशुराम के अभिनय मे अन्तर्जन्पदीय ख्याति प्राप्त कर चुके है । उन्होने कहा कि भगवान परशुराम का चरित्र अनुकर्णीय है जो आराध्य है मै उनका अभिनय ही नही उनकी पूजा आराधना भी करता हू । प्रात स्मरणीय बन्द्नीय है ।
प्रस्तुति