जेठ की दोपहरी’ में कोरोना के खात्मे के आसार नहीं , 92 डिग्री सेल्सियस पर मरता है वायरस

Listen to this article

 

जेठ की दोपहरी’ में कोरोना के खात्मे के आसार नहीं , 92 डिग्री सेल्सियस पर मरता है वायरस

रिपोर्ट- रघुनाथ प्रसाद शास्त्री

नई दिल्ली: समाचार एजेंसी से मिले समाचार के अनुसार कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर एक बुरी खबर है। दक्षिणी फ्रांस की एइक्स मार्सियेले यूनिवर्सिटी ने अपने रिसर्च में पाया है कि कोरोना वायरस सूर्य की तेज गर्मी में नहीं मरता है। इसके खात्मे के लिए 92 डिग्री सेल्सियस का तापमान चाहिए। इस तरह का उच्चतर तापमान भारत में भीषण गर्मी के दौरान भी नहीं हो पाता है। लिहाजा इस बात की संभावनाएं कम हैं कि भारत में मई जून की भीषण गर्मी में कोरोना का प्रकोप कम हो जाएगा।
फ्रांस के वैज्ञानिकों की टीम ने भी इस बात की तस्दीक की है कि कोरोना वायरस हाई टेंपरेचर पर लंबे समय तक जीवित रह सकता है। वैज्ञानिकों ने टेस्ट के दौरान साठ डिग्री टेंपरेचर पर भी कोरोना वायरस एक्टिव पाया। जो अपने आप में चिंता का विषय है।

खासकर भारत में सोशल मीडिया पर ये खबरें वायरल थी की भीषण गर्मी में इसका प्रकोप कम हो जाएगा और संभवत: देश में कोरोना का प्रकोप जून तक कम हो जाएगा। हालिया रिसर्च डराने वाले हैं। अगर मौसम के हिसाब से भी कोरोना वायरस का असर कम नहीं हुआ तो सरकार को लंबी लड़ाई के लिए कमर कसनी होगी।
*कोरोना का गंदगी से नाता*

वैज्ञानिकों ने खास टेस्ट में पाया कि साथ सुथरे जगहों पर कोरोना उच्चतम तापमान पर खत्म हो जाता है। जबकि गर्मी के बावजूद गंदे वातावरण में कोरोना का वायरस काफी देर तक जीवित रहता है। भारत के संदर्भ में इस रिसर्च के कई मायने हैं। सघन आबादी होने के कारण सफाई की स्थिति भारत के कई महानगर पिछड़े हैं। ऐसे में गंदे माहौल में कोरोना वायरस लंबे समय तक अपना असर दिखा सकता है।
फ्रांसिसी वैज्ञानिकों ने माना कि उच्चतम तापमान का प्रभाव देकर कोरोना वायरस का असर खत्म किया जा सकता है। शोध के मुताबिक 15 मिनट तक 92 डिग्री सेल्सियस पर गर्म करने के बाद कोरोना वायरस का असर पूरी तरह खत्म किया जा सकता है।

विज्ञापन बॉक्स