क्षेत्र के प्रमुख देवी मंदिर नवरात्रि जैसे विशेष पर्व पर सूने पड़े है

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क्षेत्र के प्रमुख देवी मंदिर नवरात्रि जैसे विशेष पर्व पर सूने पड़े है

रिपोर्ट-गिरीश त्रिपाठी स्वतंत्र पत्रकार

उन्नाव
बांगरमऊ कोरोनावायरस के भय से इस तहसील क्षेत्र में बंदी पूर्ण सफल तो नजर आ रही है और जहां तहसील क्षेत्र के लोगों को सब्जी, परचून और अन्य आवश्यक सामग्री घर घर पहुंचाने की व्यवस्था तहसील प्रशासन द्वारा की जा रही हैं वहीं क्षेत्र के प्रमुख देवी मंदिर नवरात्रि जैसे विशेष पर्व पर सूने पड़े हैं और मंदिरों में विराजमान देवी मूर्तियों को खाने और पीने तक के लाले हो गए हैं। भक्त मंदिरों में उनको पानी खाना फूल पत्ती देने नहीं पहुंचते बल्कि अपने अपने घरों में ही फूल पत्ती,श्रद्धा सुमन जो हो सकता है वह सौंप रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि प्रधानमंत्री ने पूरे देश में कोरोना रोग की रोकथाम के लिए 14 अप्रैल तक लाकडाउन लगा दिया है ।जिससे इस तहसील क्षेत्र में जहा नगर पालिका, नगर पंचायत और गांव में बंद का असर सड़कों और गलियों से लेकर के दुकानों और चौराहों तक साफ नजर आ रहा है ।वही मंदिर मस्जिद और अन्य देवस्थानों पर भी इसका असर पूर्ण रूप से दिखाई पड़ रहा है ।इस समय बसंतीय नवरात्रि चल रहे हैं और आज माता के तृतीय स्वरूप चंद्रघंटा रूप की पूजा देवी भक्तों को करनी थी। लेकिन देवी भक्त माता के तीसरे स्वरूप की पूजा करने मंदिरों पर नहीं पहुंचे।उधर 22 मार्च से लेकर अब तक तहसील क्षेत्र के प्रमुख मंदिरों में विराजमान देवी देवता सब स्नान पूजन आदि से वंचित हैं। मंदिरों पर भक्तों का आना-जाना भी पूर्ण रूप से बंद है। जिससे मंदिरों की मूर्तियों का खाना पानी भी नहीं मिल रहा है।जिन ख्याति प्राप्त मंदिरों पर पुजारी की व्यवस्था है और वह वहीं रहते हैं तो उन मंदिरों मूर्तियों को स्नान धूप दीप फूल भोग तो मिल रहा है लेकिन जो सार्वजनिक मंदिर दसियों वर्ष पुराने हैं जैसे फतेहपुर चौरासी का शीतला देवी मंदिर ,बांगरमऊ का राजराजेश्वरी मंदिर, शीतला देवी मंदिर ,लोनार पुरके भुनेश्वरी देवी मंदिर ,लखना पुर के माता पंचपखारी देवी मंदिर ,झूलो मऊ की फूलमती देवी मंदिर ,पंडा खेड़ा में मनसा रानी देवी मंदिर आदि हर जगह मंदिर के कपाट बंद है और देवी मूर्तियां अपने घर में ही भूखी प्यासी बैठी हुई हैं ।देवी भक्तों ने अपने घरों में ही देवी मूर्तियों की स्थापना करके और उनका पूजन अर्चन भोग आज किया है मंदिरों से दूरी बनाए हुए हैं जिससे मंदिरों पर जहां इन नवदुर्गा के दिनों में देवी भक्तों की अपार भीड़ से दिखाई थी वह सन्नाटे में फस हुए हैं।

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