मछुआ समाज को विकास की पहली कतार में लाना संकल्प: मंत्री संजय निषाद
राजस्व संहिता 2016 का अक्षरशः पालन न कराने के लिए लगाई कड़ी फटकार
लखनऊ/बुलंदशहर। उत्तर प्रदेश सरकार के मत्स्य मंत्री एवं निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद आज जनपद बुलंदशहर के दौरे पर रहे।
इस दौरान उन्होंने जनपद की चार तहसीलों – डिबाई, अनूपशहर, शिकारपुर एवं खुर्जा में तहसील सभागार में मत्स्य पालकों के साथ बैठक कर विभागीय योजनाओं की समीक्षा की और जनकल्याणकारी योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी।
मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने बैठक में कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की मंशा है कि समाज के वंचित, शोषित और निचले पायदान पर रहने वाले मछुआ समुदाय के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर योजनाओं का लाभ मिले।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की राजस्व संहिता 2016 के अनुसार ग्राम समाज की जल भूमि के पट्टे की नीलामी में पहला अधिकार मछुआ समाज की उप-जातियों का है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि राजस्व संहिता 2016 के पृष्ठ संख्या 28 में यह नियम स्पष्ट रूप से उल्लेखित है, साथ ही नियम 56 के उद्देश्य में “मछुआ समुदाय” का परिभाषा भी दी गई है जिसमें केवट, मल्लाह, निषाद, बिंद, धीमर, कश्यप, बाथम, रायकवार, मांझी, गोड़िया, कहार, तुरैहा अथवा ऐसे व्यक्ति जो परंपरागत रूप से मत्स्य पालन में संलग्न हैं, सम्मिलित हैं।
मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने तहसील शिकारपुर में निरीक्षण के दौरान उप जिलाधिकारी को राजस्व संहिता 2016 की अनदेखी करने और मछुआ समाज के लोगों को नजरअंदाज करने के मामले में कड़ी फटकार लगाई।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि गांव में पहले से कश्यप समाज के लोग निवास कर रहे हैं तो पट्टे का पहला अधिकार उन्हीं का है। बाहरी व्यक्तियों को प्रमाण पत्र जारी करना राजस्व संहिता 2016 का स्पष्ट उल्लंघन है। मंत्री ने पुलिस क्षेत्राधिकारी, शिकारपुर को निर्देशित किया कि मामले की नियमानुसार विस्तृत जांच कर तत्काल रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने कहा कि वह स्वयं मछुआ समाज का नेतृत्व करते हैं और मछुआ समाज को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए ही निषाद पार्टी का गठन किया गया है। यदि मछुआ समाज के किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव किया जाता है या किसी अधिकारी द्वारा कुंठित मानसिकता से कार्य किया जाता है तो यह मुद्दा सीधे मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया जाएगा।
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मछुआ समाज के अधिकार, सम्मान और उत्थान के लिए जो भी कदम उठाना पड़ेगा, वे उठाएंगे। मछुआ समाज को विकास की मुख्यधारा से जोड़ना ही उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि सरकार गरीबों और वंचितों के उत्थान के लिए योजनाएं बना रही है लेकिन कुछ अधिकारी सरकार की मंशा पर पानी फेरने का प्रयास कर रहे हैं। किसी भी प्रकार की लापरवाही और मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने मत्स्य पालकों से आह्वान किया कि वे अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें और मत्स्य विभाग की योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।
मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने कहा कि आज मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि मेरे जनपद दौरे के दौरान कुछ अधिकारियों को निषाद पार्टी के नारों अथवा मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम और उनके आत्म बाल सखा महाराज गुह्यराज निषाद के जयघोष से आपत्ति थी। उन्होंने दो टूक कहा कि अगर किसी अधिकारी को इससे दिक्कत है तो अपनी मानसिकता बदलें, क्योंकि प्रभु श्रीराम और महाराज निषाद राज के जयकारे सुनने ही पड़ेंगे।
मंत्री ने स्पष्ट चेतावनी दी कि आज अधिकारियों को समझाया गया है, यदि भविष्य में भी उनके व्यवहार में सुधार नहीं आया तो उन्हें उनके पद से मुक्त करवाने के लिए जो भी कार्रवाई करनी पड़ेगी, वे की जाएगी।
उन्होंने कहा कि मैं एसी कमरों और वीआईपी कार्यक्रमों का मंत्री नहीं हूं, मैं मछुआरे के घर जन्मा हूं और गर्मी, सर्दी, बरसात में मेहनत करना मेरे खून में है। मैं किसी भी समय, किसी भी जनपद की तहसील में सीधे मछुआ समाज के बीच कार्यक्रम कर सकता हूं।