विक्रमी संवतसर 2079 के राजा शनि और मन्त्री गुरु से प्रारम्भ होगा।

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विक्रमी संवतसर 2079 के राजा शनि और मन्त्री गुरु से प्रारम्भ होगा।

हिन्दू नववर्ष का जिस दिन से प्रारम्भ होता है उस दिन के वार का स्वामी, उस वर्ष का स्वामी भी होता है। यह तो आप सभी को पहले से ही बता है कि हिन्दू नववर्ष चैत्र मास की शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से प्रारम्भ होता हैं।इस वर्ष में हिन्दू नववर्ष 1 अप्रैल 2022 को अमावस्या का समापन काल 11 बजकर 54 मिनट 08 सेकंड पर है,उसके पश्चात् प्रतिप्रदा का प्रारम्भ हो जाता है।भारतीय पद्धति के अनुसार एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक एक दिन होता हैं।

ज्योतिष के विशेष जानकार रघुनाथ प्रसाद शास्त्री ने बताया कि
इस वर्ष विक्रमी संवत 2079 के आरम्भ में शिव विंशति के अंतर्गत दशम युग का पंचम “नल” नामक संवत्सर यानि 50 वां ( नया विक्रमी संवत्सर) होगा।नया साल होगा।

नया संवत्सर जिसे विक्रमी संवत्सर कहा जाता है, मीन राशि में अमावस्या के दिन शुरू होता है, जब सूर्य और चंद्रमा मीन राशि में एक ही देशांतर पर होते हैं।ऐसे क्षण की तिथि और समय के लिए एक चार्ट बनाया जाता है, जिसे नववर्ष प्रवेश कुंडली कहा जाता है। मिथुन लग्न के साथ 1 अप्रैल, 2022 को 11 बजकर 54 मिनट पर मीन राशि में नए संवत्सर 2079 यानी अमावस्या का राशिफल इस प्रकार है:-

नए विक्रमी संवत का आरम्भ 2 अप्रैल 2022 से होगा।1अप्रैल 2022 को अमावस्या सुबह 11 बजकर 54 मिनट पर समापन हो जाती हैं,उसके उपरांत सूर्य और चन्द्र रेवती नक्षत्र में प्रवेश करते हैं,उसी दिन नव विक्रमी संवत 2079 का प्रतिपदा का शुभारंभ शुरू हो जाता है।प्रत्येक दिन का आरम्भ सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक माना जाता हैं। परन्तु ज्योतिष शास्त्र के नियमानुसार नवसंवत तथा राजा आदि का निर्णय चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के वारादि के अनुसार किया जाता है।तदनुसार नल नामक विक्रमी संवत 2079 और चैत्र मास की नवरात्रि पर्व का शुभारंभ 2 अप्रैल 2022 ,दिन शनिवार,चैत्र प्रविष्टे 20 ,रेवती नक्षत्र तथा ऐन्द्र योग में होगा। विक्रमी संवत्सर के राजा शनि और मन्त्री गुरु से प्रारम्भ होगा।

विक्रमी संवत 2079 में मेष संक्रांति का प्रवेश पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र कालीन में हुआ है इस लिये
रोहिणी का वास समुद्र में होगा।जिस विक्रमी संवत का वास समुद्र पर होगा तो वर्षा अधिक होती है ।उत्तरप्रदेश,बिहार,मध्यप्रदेश और उड़ीसा पर बाढ़ प्रकोप बनेगा। समय का निवास माली के घर पर होगा। इस लिए फ्लो और धन्य धान्य की वृद्धिहोगी।

नव विक्रमी 2079 के राजा शनिदेव है ,शनि का वाहन भैसा है।शनि की दृष्टि पंचम स्थान,पूर्व-दक्षिण देशों में और राज्यों में प्राकृतिक प्रकोप, भूकम्प,भूस्खलन,वर्षा की अधिकता बनी रहेगी।जन और धन की हानि , सत्ता परिवर्तन,राजनीतिक पार्टियों में मतभेद,घटनाओं में वृद्धि होगी।विभिन्न प्रकार बीमारियां पाई जाएगी।किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति की हत्या का फरमान जारी हो सकता है।

शनि-मंगल की युति मकर राशि धनिष्ठा नक्षत्र में स्थित हैं।जिसके स्वामी मंगल ग्रह है।शनि-मंगल दोनों ही तमोगुणी होने से धनिष्ठा को तमोगुणी मानना उचित होगा।तमोगुणी के प्रभाव से विध्वंस विनाश की राह पकड़ कर दुसरो को कष्ट पहुँचाने में सुख मानने लगते है।आठ वसुओं के कारण बहुत व्यापक नक्षत्र माना जाता हैं।समाज में भ्रष्टाचार ,स्वार्थपरता,कपट का व्यवहार के चलते तमोगुणी व्यवहार निश्चित वरदान साबित होगा।
5 अप्रैल 2022 को मंगल-शनि दोनों एक समान अंशो पर स्थित होंगे और वो समय भयंकर परिस्थितियां उत्पन्न करेगा।उसके बाद मंगल मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे।नव विक्रमी संवत मिथुन लग्न की हैं,द्विस्वभाव का लग्न हुआ है और लग्न के स्वामी बुध दशम स्थान में सूर्य एवं चन्द्र के साथ युति में है।विशेषता संसद,प्राशासनिक अधिकारी वर्ग और शासकीय कार्यालयों में आय से संबंधित भाव है,बुध अपनी नीच राशि मे स्थित हैं।सूर्य-चन्द्र और बुध पर शनि की दृष्टि हैं।नव वर्ष की पिछले साल की तरह काल सर्प योग निर्माण कर रहे हैं।शनि-मंगल मकर राशि में तथा बृहस्पति-शुक्र शनि की राशि कुम्भ में है।शनि,मंगल दोनों क्रूर ग्रह बृहस्पति-शुक्र शुभ ग्रह उनका परस्पर विरोधी ग्रहों का योग विश्व की शांति को भंग करने में योगदान करेगे।
अचानक सत्ता का फेरबदल ,आंतरिक द्वंद,सीमाओं पर युद्ध,आतंकवाद गतिविधिया,विस्फोटक घटना घटित होगी।भारत के बाहरी देशों जैसे पाकिस्तान,अफगानिस्तान,नेपाल,सीरिया,तुर्की,और फ्रांस आदि देशद्रोह-राजद्रोह और देश में फैलता जिहाद यानी प्रेम विवाह के प्रस्ताव उसके जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाना चाहते है,वो व्यापक रूप से फैलता दिखाई देगा।लग्न पर बृहस्पति की दृष्टि होने से विश्व के प्रमुख देशों जैसे कि इजरायल, अफगानिस्तान,ईरान में शांति प्रस्ताव लाए जाएगें। देशों में आधुनिक हथियार की दौड़ में अपना प्रभुत्व स्थापित करेगें।
बृहस्पति मीन राशि में गोचर करेंगे और मीन राशि चीन देश की राशि हैं।बृहस्पति के ऊपर शनि की विशेष दृष्टि रहेगी ।चीन की विस्तार नीतियों के विश्व मे कई प्रकार विचित्र और अघटित घटनाएं घटित होगी।कई तरह का उलट फेर होता दिखाई देगा।ग्रह स्थिति के अनुसार उथल-पुथल के संकेत बन रहे हैं।जैसे प्राकृतिक आपदाओं, खड़ी फसलों को पानी की कमी से खराब होना, अचानक से बीमारी फैलना, जिसके कारण बच्चों, युवाओं को ग्रसित होंना, अग्निकांड, भूकंप, भूखलन, सम्प्रदायिक उपद्रव आदि घटनाओं घटित होगी।उसने प्रभावित होने वाले राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार,असम और मुस्लिम देशों प्रभावित होने के संकेत मिल रहे है।17 मई 2022 को बृहस्पति,शुक्र और मंगल युति में होंगे।
29 अप्रैल 2022 को शनिदेव कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे और मंगल ग्रह के साथ युति में रहेंगे।17 मई 2022 तक युति में रहेंगे। जिसके कारण चीन,पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर में रक्तपात और हत्याकांड, मरने -मारने जैसी घटनाये घटित होगी।
12 जुलाई 2022 से जनवरी 2023 तक शनि वक्री गति से मकर राशि गोचर करेंगे।जिस के कारण वायुवेग, अचानक गंभीर बीमारियों से लोग ग्रसित होंगे।भंयकर तूफान, भूकंप, वातावरण में परिवर्तन ,जलवायु परिवर्तन ,अधिक वर्षा होगी।
उसके बाद शनि कुम्भ राशि में गोचर करेंगे।

कई देशों में गृहयुद्धऔर नए समीकरण दिखाई पड़ेंगे। भारतवर्ष में पड़ौसी देशों से विदेशनीति में सामंजस स्थपित नही हो पाएगा।भारतीय सीमा पर तनावपूर्ण माहौल बना रहेगा और युद्ध जैसे हालात बने रहेगे।

2. विक्रमी संवत के मंत्री बृहस्पति :-
जिस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है उस दिन का स्वामी मंत्री बनता है। सूर्य गुरुवार को मेष राशि में प्रवेश करेगे है।गुरु ग्रह शुभ कार्य करने वाले ग्रह है।सभी प्रकार के अनाज भरपूर मात्रा में उत्पादन होगा ।सत्ता पक्ष की सरकार दिल लुभावने योजनाओं विकास की योजना,जिससे चारों तरफ विकास होता दर्शाया जाएगा,वास्तविक जीवन मे क्या असर पड़ता हैं, वो नक्शों में ही दृश्य होगी।भाषाओं से जनता को आकर्षित करेगी।
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3. सस्येश ग्रीष्मकालीन फसलों के स्वामी शनि हैं :-
जिस दिन सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है, उस दिन के स्वामी को सस्येश कहा जाता है।शनिवार को सूर्य कर्क राशि मे प्रवेश करेंगे।गर्मियों की फसलों के स्वामी शनि देव है।सरकार के द्वारा निर्मित कानूनों और अध्यादेश से जनता दुखी और परेशान रहेगी। गेहूँ, जौ, चना, दाल, बाजरा, कपाट आदि की उपज में कम उत्पाद होंगे।

4.धनेश शीतकालीन फसलों के स्वामी शुक्र हैं।
5.मेघेश वर्षाकाल के स्वामी बुध है।
6.रसेश (रसदार उत्पादन) के स्वामी चन्द्र हैं :- जिस दिन सूर्य तुला राशि में प्रवेश करते हैं।उसको रसेश कहते है,सोमवार को सूर्य तुला राशि में प्रवेश करेंगे, चन्द्र इस वर्ष के होगें रसेश।चन्द्रदेव सुंदरता,आकर्षक,विलास जीवन से सम्बन्ध रखते है।राजनेता व्यक्तित्व वाले मनुष्य अपने विचारों को अलग अलग ढंग से व्यक्त करेगे।वर्षा पर्याप्त मात्रा में होगी,दूध,रसदार फलों का उत्पादन भी अधिक होगा।लोगो को ऐश्वर्य,जूस पीने और आनंद लेने का सौभाग्य मिलेगा।उत्पादन अधिक और विक्रय भी ज्यादा होगा ।लोग सुखी जीवन व्यतीत करेगे।

7. निरसेश धातुओं के स्वामी शनि देव है :- 16 नवंबर 2022 को सूर्य मकर राशि मे प्रवेश करेंगे और शनिवार हैं।शनि उस दिन के स्वामी हैं।वही निरसेश धातुओं के स्वामी होते हैं।शनि से सम्बंधित धातु हैं लोहा,स्टील,लोहे से बनने वाली धातु कील पेंच,मशीनें,लोहे के ईंजन,हवाईजहाज में उपयोग धातु, तेल,पेट्रोलियम पदार्थों, डीजल,फरनेस का तेल,काले कपड़े,एवं ऊनीवस्त्र,उड़द की दाल,काली मिर्च,लकड़ी,दालचीनी,गर्म मसाले,कोयलाखदानों,कोयले बनी वस्तुओं आदि के उत्पादन में तेजी आएगी।
8 फलेश फलों के स्वामी मंगल हैं।

9. धनेश कोष अधिपती शनि हैं:- जिस दिन सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है,उस दिन का स्वामी धनेश होता हैं।17 सितंबर 2022 को सूर्य कन्या राशि गोचर करेगें।उस शनिवार है,शनिदेव हैं।शनि देव न्याय कर्ता भी हैं।इस विक्रमी संवत शनि देव कोषपति हैं।बाजार में धन की तंगी रहेगी।व्यापारीवर्ग को क्रय विक्रय में हानि उठानी पड़ेगी। क्योंकि शासक वर्ग के धन और धनी व्यक्ति अपने रोगों और सन्ताप से परेशान रहेंगे।वैसे आर्थिकस्थिति और विकास धीमे रहेगें और जनता परेशान और दुःखी रहेगी। शासन तंत्र के कठोर नियम पारित होने से ,कृषि वर्ग प्राकृतिक आपदाओं इतना उत्पादन नहीं होगा।

10. दुर्गेश (सेनापति) बुध ग्रह हैं:- जिस दिन सूर्य सिंह राशि मे प्रवेश करता है,उस दिन के स्वामी को दुर्गेश कहते है।बुधवार को सूर्य सिंह राशि मे प्रवेश करेंगे।बुध हुआ दुर्गेश हैं। सेनापति भी कहते है।बुध ग्रह होने से दोनों प्रकार अच्छे और बुरे प्रभाव मिलेंगे।धनवान वर्गों का प्रभुत्व बना रहेगा। जनता को मिश्रित फल प्राप्त होंगे।सेना की चौकसी की आवश्यकता होगी।

कौन सी वस्तु कितने विश्वा है
– जलवृष्टिः ७, धान्यम् ५ , तृणम् ५ ,शीत: १३, उष्णम् १७, वायुः १३ ,वृद्धिः १५ ,विनाशः १५ , विग्रह: ११, क्षुत् ५ ,तृष्णा ७, निद्रा ७, आलस्यम् १५ ,उद्यमः १३, शान्तिः १५ ,क्रोध: १३ ,दम्म: ५, भेदः ३, मैत्री १५. ,र.नि. ९. फ. नि. १३ .उत्साह: ११. शलभा: ३ .शुकाः ३ .,मूषक: १५ ,अतिवृष्टिः १९, अनावृष्टिः ७ ,स्वचक्रम् ९ ,परचक्रम् १५ ,नायकम् ३, रत्नम् ११, वस्त्रम् ९ ,घृतम् ९, तलम् ५, दुकूलम् ५, उर्णा १७, क्षेम्यम् १३, कार्पासम् १५, खर: १९, पारद: ९, कास्यम् १३, पित्तलः १७ ,उ.प्र. ३ ,सौ. प्र. ३, पाप प्र. ९ ,पुण्य प्र. ९, व्याधिः ७, भैषजम् ७, सयता १३, आचार: ११ ,अनाचारः ३ ,मरणम् ९, जन्म १५ ,देशोपद्रव ५ ,देशस्वास्थ्यम् १५, चौरभयम् १३, चौरभयनाशः १७, अग्निभयम् ११, अग्निभयनाश: १३, विषभयम् ७, विषभयनाशः ११, सेक्कत्वं ९, स्वामित्वं १९, निजघनं ७, परघनं ७, द्यूतं ५, पुंश्चलीकर्म १५, जारणं ५ ,जारणनाश: ९ ,मारणं ११ ,मारणनाशः ११ ,स्तम्भनं ९ | स्तम्भन्नाशः ५ ,मोहनं १७ ,मोहननाश: ११ ,उच्चाटनं २१, उच्चाटननाशः १३, वशीकरणं ३ ,वशीकरणनाशः ९, वातप्रकृति: १५ ,पितप्रकृतिः ३ ,कफप्रकृति: ७ ,द्वंदज: ११ ,सन्निपात: १५ ,यशः १९, अपयशः ५, गर्वः ७ ,गोत्रप्रपञ्चः जू ९, गोत्रप्रपञ्चनाश: ११ ,भूतबाधा १३, भूतबाधानाशः १५, ग्रहदोषः १७, ग्रहदोषनाशः १९, अण्डज: १५ ,पिण्डज: जूस ५ ,स्वेदजः ११ ,उद्भिज: १७ ।

राशियों पर असर:

मेष : आर्थिक स्थिति सुधरेगी। आंखों में पीड़ा की आशंका।

वृषभ : नौकरी वालों का प्रोमोशन होगा, स्वास्थ्य पर ध्यान रखिए।

मिथुन : रोजगार का अवसर मिलेगा, सुख-समृद्धि बढ़ेगी।

कर्क : मानसिक तनाव रहेगा पर समस्याएं भी सुलझेंगी।

सिंह : मेहनत करने पर ही लाभ के भागीदार होंगे।

कन्या : मांगलिक कार्य होंगे, खर्च भी बढ़ेगा।

तुला : भूमि और भवन निर्माण पर खर्च होगा।

वृश्चिक : परिवार का सहयोग मिलेगा,खर्च पर नियंत्रण रखिए।

धनु : मेहनत करेंगे तो सफलता मिलेगी, संतान की चिंता रहेगी।

मकर : खर्च में अधिकता, सेहत का ख्याल रखें।

कुंभ : धन लाभ होगा, शिक्षा के क्षेत्र में तरक्की भी।

मीन : दाम्पत्य जीवन सुखमय, कारोबार में लाभ

रिपोर्ट रघुनाथ प्रसाद शास्त्री