निर्माण के संबंध में पूरी कार्यवाही से अवगत कराएं अन्यथा प्रमुख सचिव गृह के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।।

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निर्माण के संबंध में पूरी कार्यवाही से अवगत कराएं अन्यथा प्रमुख सचिव गृह के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।।

बांगरमऊ उन्नाव
तहसील क्षेत्र के ग्राम बेहटा मुजावर में स्थित पुलिस चौकी को उच्च न्यायालय के आदेश पर उच्चीकृत कर सरकार द्वारा नया थाना तो बना दिया गया लेकिन थाना की बिल्डिंग और आवास न बनाए जाने को लेकर उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ में पुनः दायर की गई जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने प्रमुख सचिव गृह के खिलाफ सख्त रवैया अपनाते हुए सरकारी वकील से कहा कि आगामी 20 जनवरी को मुकदमा सूचीबद्ध करते हैं और निर्माण के संबंध में पूरी कार्यवाही से न्यायालय को अवगत कराएं अन्यथा प्रमुख सचिव गृह के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।
मालूम हो कि तहसील क्षेत्र के ग्राम इस्माइलपुर आंबापारा (कुर्मिन खेड़ा) निवासी उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ के वरिष्ठ अधिवक्ता तथा यश भारती सम्मान से सम्मानित प्रमुख समाजसेवी फारूक अहमद एडवोकेट ने बांगरमऊ कोतवाली क्षेत्र को तोड़कर पुलिस चौकी बेहटा मुजावर को नया थाना बनाए जाने की याचिका वर्ष 2014 में उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ में दायर की थी। जिसे 14 मार्च 2016 को उच्च न्यायालय ने निर्णित करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देशित किया कि वह इस संबंध में निर्णय ले। उसके बाद 13 सितंबर 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बेहटा मुजावर को नया थाना बनाने का अनुमोदन कर दिया था, और 20 लाख का बजट भी जारी कर दिया था। इसके बाद भी जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो 11 नवंबर 2019 को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने प्रमुख सचिव गृह से व्यक्तिगत शपथ पत्र मांगा तो आनन-फानन में 13 नवंबर 2019 को सरकार द्वारा बेहटा मुजावर को नया थाना बना दिया गया। और अब दिनांक 14 नवंबर 2019 को थाने में निरीक्षक, उपनिरीक्षक, हेड कांस्टेबल व कांस्टेबल सहित 30 लोगों के स्टाफ की नियुक्ति भी कर दी गई। और दिनांक 16 नवंबर 2019 को प्रमुख सचिव गृह ने अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर कहा कि दिनांक 2 अक्टूबर 2019 को थाना की बिल्डिंग व आवास निर्माण हेतु स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। और कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग को नामित किया गया है। इस आधार पर जनहित याचिका का निस्तारण 16 नवंबर 2019 को कर दिया गया।
परंतु निर्माण के संबंध में कोई ठोस कदम न उठाए जाने पर दिनांक 14 जनवरी 2020 को फारूक अहमद एडवोकेट द्वारा पुनः उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ में जनहित याचिका दायर की गई जिसकी सुनवाई 17 जनवरी 2020 को न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल व न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी ने की और सुनवाई करने के बाद सख्त रुख अपनाते हुए सरकारी वकील से कहा कि अगली तारीख 20 जनवरी 2020 को मुकदमा सूचीबद्ध करते हैं और निर्माण के संबंध में पूरी कार्यवाही से अवगत कराएं अन्यथा प्रमुख सचिव गृह के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।।

 

 

रिपोर्ट-मोहित मिश्रा

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