वाराणसी कचहरी परिसर में महिला और ट्रांसजेंडर नागरिकों की असुविधा को देखते हुए उठाई गयी शौचालय की मांग

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वाराणसी कचहरी परिसर में महिला और ट्रांसजेंडर नागरिकों की असुविधा को देखते हुए उठाई गयी शौचालय की मांग

शौचालय सहित महिलाओं के लिए अलग सिटिंग बेंच, कॉमन रूम और काउंसलिंग रूम आदि के लिए डीएम को सौंपा गया ज्ञापन पत्र

वाराणसी।

गिरीश त्रिपाठी ,स्वतन्त्र पत्रकार ,प्रमुख संवाददाता, आर पी एस समाचार

आज गुरुवार को वाराणसी कचहरी परिसर में महिला और ट्रांसजेंडर नागरिकों की असुविधा को देखते हुए उठाई गयी शौचालय की मांग।
डॉ. इन्दु पांडेय,विजेता, शालिनी, मैत्री, धनज्जय, शिवि, प्रियंका, अबु हाशिम,साक्षी, ज्योति, राजु, स्नेहा, हिना, प्रदुमन, रिमझिम, सलमान,रोमा,जगन्नाथ कुशवाहा इत्यादि ने समूह के रूप में कचरी परिसर में पहुंच कर जिलाधिकारी के नाम सम्बोधित एक मांग पत्र जिसमें महिलाओं के लिए अलग सिटिंग बेंच, कॉमन रूम और काउंसलिंग रूम आदि के लिए एसीएम चतुर्थ अंकिता दीक्षित को दिया।
बनारस शहर के कचहरी परिसर में आज युवतियों का समूह कुछ बेहद आकर्षक और गंभीर मांगो की तख्तियाँ गले में लटकाए हुए पंहुची। परिसर में महिला वकीलों, वादकारियों के बीच लैंगिक मुद्दों पर बेहद जरुरी बिन्दुओ पर ध्यान दिलाते हुए पर्चे का वितरण किया गया और हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया। साथ ही ट्रांसजेंडर नागरिकों और महिलाओं के लिए अलग सिटिंग बेंच, कॉमन रूम और काउंसलिंग रूम आदि के लिए डीएम वाराणसी को संबोधित ज्ञापन पत्र एसीएम चतुर्थ अंकिता दीक्षित महोदया को सौंपा गया। समूह की ओर से प्रतिनिधिमंडल की एक सदस्य महिला ने कहा की , एसीएम मैडम स्वयं एक महिला के बतौर हमारे प्रतिनिधिमण्डल से मिली और उठाए गए सभी मुद्दों को प्रथम दृष्टया बेहद जरूरी बताते हुए जल्द ही कार्यवाही का आश्वासन भी दिया। ज्ञापन देते हुए कार्यकर्त्रियों ने एसीएम चतुर्थ अंकिता को बताया की सार्वजनिक स्थानों पर प्रायः पाया गया है कि महिलाओं और ट्रांसजेंडर नागरिकों के लिए शौचालय, यूरिनल और प्रसाधन कक्ष आदि की व्यवस्था समुचित नही होती है।इतना विशाल बनारस कचहरी परिसर जंहा रोज़ाना आने जाने वाले हजारों की संख्या में है। इस बड़ी संख्या में महिलाओं की काफी उपस्थिति रहती है। लेकिन यंहा सार्वजनिक महिला शौचालय कंही दिखता नहीं। विभिन्न न्यायालयों, विभागों और अधिवक्ताओं की चौकी आदि पर महिला अधिवक्ता, कर्मचारी हों अथवा वादकारी उन्हें अक्सर असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है।अपना परिचय देते हुए एक नारीवादी कार्यकर्त्री ने बताया की, हम काशी की आधी आबादी की समस्याओं और उनकी सक्रिय सामाजिक राजनैतिक भागीदारी से सरोकार रखने वाले संगठन “दख़ल” : दमन के ख़िलाफ़ लामबंद की तरफ से डीएम साहब से निवेदन किये हैं कि हमारे पर्चे में उठाये गए मांगों पर गंभीरता से विचार करें और ट्रांसजेंडर नागरिकों और महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जरुरी इंतजामात को पूरा करें।उन्होनें कहा हम हस्ताक्षर अभियान,पर्चा वितरण और ज्ञापन कार्यक्रम के माध्यम से सरकार और जनप्रतिनिधियों का ध्यान आकृष्ट कराके इस काम को प्राथमिकता पर करवाने का आग्रह करते हैं। यह शुरुआत कलेक्ट्रेट परिसर से हो और फिर विभिन्न स्तर तक बात आगे बढ़े जिससे कुछ सार्थक बदलाव आये और बनारस कचहरी नज़ीर बने ।
दिए गए ज्ञापन पत्र और पर्चे में उल्लेखित मुख्य मांगें क्रमशः
कलेक्ट्रेट परिसर में महिलाओं के लिए पर्याप्त संख्या में सुरक्षित, साफ-सुथरे टॉयलेट और यूरिनल बने जहाँ की व्यवस्था महिलाकर्मियों द्वारा ही की जाय।
परिसर में महिलाओं के लिए कुछ कॉमन रूम हों जहाँ वे सहजता से कुछ समय विश्राम कर सकें अथवा धात्री महिलाएं बच्चे को स्तनपान करा सकें।न्यायालय के सामने अथवा परिसर में महिलाओं के बैठने के लिए कुछ बेंच या कुर्सियां सुरक्षित रहें।परिसर में सुलभ और सुविधाजनक स्थान पर सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन की स्थापना की जाए।परिसर में महिलाओं की सुविधा के लिए की गयी व्यवस्था को प्रदर्शित करने के लिए कुछ स्थानो पर बोर्ड लगे हों। ट्रांसजेंडर नागरिकों के लिए भी कचहरी परिसर में अलग शौचालय और कॉमन रूम की व्यवस्था हो।महिलाओं के काउंसलिंग कमरे की अलग से व्यवस्था हो।उक्त सभी व्यवस्था की देखरेख बार काउंसिल और प्रशासन की तरफ से नामित एक समिति करे जिसमें ६६ % महिलाएं हों।

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