जीका बीमारी से बचाव एवं जन जागरूकता के संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने सभी प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को दिए आवश्यक निर्देश।

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जीका बीमारी से बचाव एवं जन जागरूकता के संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने सभी प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को दिए आवश्यक निर्देश।

उन्नाव।

रिपोर्ट -आर पी एस समाचार
प्रमुख संवादाता गिरीश त्रिपाठी

दक्षिण राज्य केरल के बाद निकटवर्ती जनपद कानपुर नगर में जीका वायरस के 11 मरीज पॉजिटिव आये है और संक्रमित लोगों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है।
जीका वायरस जोकि एक आर0एन0ए0 वायरस है और सर्वप्रथम 1947 में यूगांडा के जीका नामक जंगल से प्राप्त मरीजों के सैम्पल में यह रोग पाया गया था। उसी के नाम पर जीका वायरस नाम पड़ा। यह वायरस एडीज एजिप्टाई व एडीज एल्बोप्टिकस के द्वारा फैलता है,जोकि डेंगू, चिकनगुनिया, वेसनाइल वायरस को भी फैलाता है। यह रोग संक्रमित मच्छर के काटने से तथा संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन सम्बन्ध से फैलता है। संक्रमित गर्भवती महिला के गर्भ के दौरान जन्म के समय भूर्ण में भी यह रोग हो सकता है।
आमतौर पर यह बीमारी लक्षणों के साथ एक सप्ताह तक रहती है। बहुत से लोगों में लक्षण दिखाई नही देते हैं या बहुत हल्के होते है जो डेंगू बीमारी से मिलते जुलते है।
इस बीमारी के मुख्य लक्षण – बुखार आना , शरीर में दाने, सिर दर्द, जोडों में दर्द, आंखे लाल होना, (कन्जैक्टिवाइटिस) और मांसपेशियों में दर्द होता है।
जीका के लक्षण हल्के होते है और संक्रमित व्यक्ति के मृत्यु की आशंका बहुत कम होती है। सिर्फ गम्भीर मामलों में ही चिकित्सालय में भर्ती की जरूरत होती है।
कुछ लोगों में जी बी एस (Gullain Baire Syndrome) हो सकता है जोकि नर्वस सिस्टम की बीमारी है और पैरालिसिस हो सकती है।
प्रेगनेंसी के दौरान इन्फेक्सन होने पर गर्भस्थ को गम्भीर जन्मजात बीमारी हो सकती है और पैदा हुआ बच्चे में माइक्रोसिफैली नामक बीमारी हो सकती है।
इस बीमारी में कोरोना जैसे बुखार के साथ स्वाद व गन्ध आने व गम्भीर मामलों में सांस की समस्या नहीं होती है तथा डेंगू जैसे तेजी से प्लेटलेटस सामान्यतः कम नहीं होते है।
जीका से बचाव का सबसे अच्छा तारीका अपने व अपने परिवार को मच्छरों से काटने से बचाना, इन्सेक्ट रेपलेंट, जैसे-आलाउट, गुडनाईट, डेंगूडॉन अगरबत्ती का प्रयोग करे ,पूरी बाह की शर्ट व फुल पैन्ट पहने, मच्छरदानी का प्रयोग करे।
मौजूदा समय में जीका वायरस का कोई इलाज/वैक्सीन नहीं है।
संक्रमित मरीज को आराम करना है और अधिक मात्रा में तरल पदार्थाें का सेवन करना है ।
लक्षणों के आधार पर इलाज करना ही एक मात्र विकल्प है।
मरीज की ट्रेवल हिस्ट्री,डाइग्नोसिस हेतु सहायक है। जांच के लिए ब्लड सिरम सैम्पल (एलाइजा जांच हेतु) तथा नेजल व थोर्ट सैम्पल (आर0टी0पी0सी0आर0 जांच हेतु) लिये जाते है।
सभी को प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि अपने-अपने क्षेत्र के फीवर केसज की सैम्पलिंग पर अधिक ध्यान दे, फीवर हेल्पडेस्क को सुदृढ करे, क्षेत्रों में लारवी साइडल दवा का छिड़काव, सोर्स रिडेक्सन तथा नियमित रूप से फॉगिंग करवाना सुनिश्चित करें। संदिग्ध लक्षण वाले मरीजों के सैम्पल व मरीज से सम्बन्धित पूर्ण जानकारी कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी, उन्नाव में प्रेषित करें जिससे कि वेक्टर जनित जीका बीमारी को फैलने से ससमय रोका जा सके।

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