आज है अखंड सौभाग्य का व्रत वट सावित्री, बेहद खास माना जा रहा है ये योग, देखें पूजा सामग्री की लिस्ट

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आज है अखंड सौभाग्य का व्रत वट सावित्री, बेहद खास माना जा रहा है ये योग, देखें पूजा सामग्री की लिस्ट

बरगद के पेड़ का है महत्व
हिन्दू धर्म में बरगद के पेड़ को पूजनीय माना जाता है, ज्योतिष के विशेष जानकार रघुनाथ प्रसाद शास्त्री बताया कि शास्त्रों के अनुसार बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों का वास होता है. इसलिए वट सावित्री में बरगद के पेड़ की आराधना करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

वट सावित्री व्रत के लिए शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 9 जून 2021, दोपहर 01:57 बजे

अमावस्या तिथि समाप्त: 10 जून 2021, शाम 04:22 बजे

वट सावित्री व्रत के लिए पूजन सामग्री
बांस का पंखा

लाल और पीले रंग का कलावा या सूत

धूप-दीप घी-बाती पुष्प फल कुमकुम या रोली सुहाग का सामान लाल रंग का वस्त्र पूजा में बिछाने के लिए पूजा के लिए सिन्दूर
पूरियां गुलगुले चना बरगद का फल
कलश जल भरा हुआ बेहद खास माना जा रहा है ये योग ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुक्र को सौभाग्य व वैवाहिक जीवन का कारक माना जाता है। इस दिन वृषभ राशि में चतुर्ग्रही योग बनना बेहद खास माना जा रहा है।चार ग्रहों के एक राशि में होने पर चतुर्ग्रही योग बनता है।मान्यता है कि इस योग से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है और कष्टों से मुक्ति मिलती है।

कोरोना महामारी में कैसे करें पूजा
अपने घर पर ही त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा कर सकते हैं।

बरगद के पेड़ की टहनी तोड़ कर उसे गमले में लगा लें।

इसके बाद विधिवत इसकी पूजा करें।

पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल और धूप का इस्तेमाल करें।

इसके बाद सबसे पहले वट वृक्ष की पूजा करें।

इसके बाद सावित्री-सत्यवान की कथा सुने और दूसरों को भी सुनाएं।

अब फिर भीगा हुआ चना, कुछ धन और वस्त्र अपनी सास को देकर आशीर्वाद लें।

पूजा के बाद किसी जरूरतमंद विवाहित स्त्री को सुहाग का सामान दान करें.

इसके अलावा, किसी ब्राह्मण को वस्त्र और फल भी दान कर सकते हैं.

वट सावित्री पूजा विधि
शादीशुदा महिलाएं अमावस्या तिथि को सुबह उठें, स्नानादि करें.

लाल या पीली साड़ी पहनें.

दुल्हन की तरह सोलह श्रृंगार करें.

व्रत का संकल्प लें

वट वृक्ष के नीचे आसन ग्रहण करें.

सावित्री और सत्यवान की मूर्ति स्थापित करें.

बरगद के पेड़ में जल पुष्प, अक्षत, फूल, मिष्ठान आदि अर्पित करें.

कम से कम 5 बार बरगद के पेड़ की परिक्रमा करें और उन्हें रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद प्राप्त करें.

फिर पंखे से वृक्ष को हवा दें

हाथ में काले चने लेकर व्रत की संपूर्ण कथा सुनें

वट सावित्री व्रत शुभ मुहूर्त
वट सावित्री व्रत कल दिन गुरुवार को रखा जाएगा. यह व्रत अमावस्या तिथि को रखा जाता है. अमावस्या तिथि 09 जून को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से शुरू होगी और 10 जून को शाम 04 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी. व्रत का पारण 11 जून को किया जाएगा.

वट सावित्री व्रत पूजन सामग्री
बांस की लकड़ी से बना बेना (पंखा), अक्षत, हल्दी, अगरबत्ती या धूपबत्ती, लाल-पीले रंग का कलावा, सोलह श्रंगार, तांबे के लोटे में पानी, पूजा के लिए सिंदूर और लाल रंग का वस्त्र पूजा में बिछाने के लिए, पांच प्रकार के फल, बरगद पेड़ और पकवान आदि.

वट सावित्री व्रत पूजा विधि
वट सावित्री व्रत की पूजा के लिए एक बांस की टोकरी में सात तरह के अनाज रखे.

इसके बाद कपड़े के दो टुकड़ों से ढक दें.

एक दूसरी बांस की टोकरी में देवी सावित्री की प्रतिमा रखें

फिर वट वृक्ष पर जल चढ़ा कर कुमकुम, अक्षत चढ़ाएं

इसके बाद सूत के धागे से वट वृक्ष को बांधकर उसके सात चक्‍कर लगाए.

पूजा करने के बाद चने गुड़ का प्रसाद बांटे.

इसके बाद सावित्री व्रत कथा सुनें

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