सती अनुसूया के सतीत्व की कथा सुनकर स्रोता हुए मन्त्र मुग्ध

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                   कथा सुनाती श्यामाशरण आरती

सती अनुसूया के सतीत्व की कथा सुनकर
स्रोता हुए मन्त्र मुग्ध

उन्नाव जनपद के आसीवन नई बस्ती में सुरेन्द्र रामकेसन के निवास पर चल रही संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा मे शनिवार को शिव पार्वती विवाह, सती अनुसुइया के प्रसंग का वर्णन में कथा वाचिका श्यामाशरण आरती ने बताया।
सती अनुसूइया की सतीत्व की परीक्षा लेने के लिए एक बार ब्रह्मा, विष्णु व महेश ने सोचा, जो बहुत ही सुंदर कथा है।

कथा वाचिका ने बताया कि धर्म शास्त्रों में एक ऐसी स्‍त्री का उदाहरण मिलता है। जिसके सामने ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश ने भी हार मान ली। जी हां हम बात कर रहे हैं ऋषि अत्रि की पत्‍नी अनुसुइया के बारे में। कथा मिलती है कि एक बार त्रिदेवियों यानी कि ब्रह्माणी, लक्ष्‍मी और देवी सती के बीच यह चर्चा हो रही थी कि तीनों में सबसे बड़ी पतिव्रता कौन? तभी देवर्षि नारद भी वहां पहुंचे और उन्‍होंने कहा कि संपूर्ण ब्रह्मांड में यदि कोई पतिव्रता स्‍त्री है तो वह हैं ऋषि अत्रि की पत्‍नी देवी अनुसुइया। यह सुनकर तीनों देवियों ने उनके पतिव्रता धर्म की परीक्षा के बारे में विचार किया और त्रिदेवों से देवी अनुसुइया की परीक्षा के लिए कहा। उन्‍होंने काफी समझाने का प्रयास किया लेकिन जब देवियां नहीं मानीं तो वह देवी अनुसुइयां के आश्रम पहुंचें और उनसे भिक्षा में निर्वस्‍त्र होकर स्‍तनपान कराने को कहा। तब माता ने अपनी सतीत्‍व के बल पर तीनों देवताओं को शिशु बना दिया और उनकी इच्‍छा पूरी की। कई दिनों तक त्रिदेव उनके आंगन में बालक रूप में रहे।
कई दिन बीत जाने पर जब वह अपने असली रूप में नही आये तो त्रिदेवियों को चिंता होने लगी और वह अनुसुइया जी के आश्रम में पहुच अपने अपने पति की भीख मांगने लगी माता अनुसूया ने कहा कि अपने -अपने पति उठा कर ले जाओ यह बात सुनकर त्रिदेवी हैरान रही क्योंकि उनके पति छः माह के बालक के रूप थे इस लिए पहचाना मुस्किल था इन त्रिदेवियों
ने माता अनुसूया से बार बार आग्रह की पति को असली रुप मे कर दो मा अनुसूया ने उनकी बात मान उन्हें असली में कर दिया त्रिदेवियों ने कहा कुछ वरदान मांग लो मा अनुसूया ने अगले
जन्म में त्रिदेवों को पुत्र रूप में वर मांगा

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