प्रसिद्ध चिकित्सक व कवि डॉ सतीश दीक्षित के आवास पर शनिवार की रात में होली मिलन समारोह व वरिष्ठ साहित्यकार पंडित जगदंबा प्रसाद मिश्र “हितैषी” जी की याद में एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया

प्रसिद्ध चिकित्सक व कवि डॉ सतीश दीक्षित के आवास पर शनिवार की रात में होली मिलन समारोह व वरिष्ठ साहित्यकार पंडित जगदंबा प्रसाद मिश्र “हितैषी” जी की याद में एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया

 

गंजमुरादाबाद उन्नाव 19 मार्च 2023 ।।

नगर के प्रसिद्ध चिकित्सक व कवि डॉ सतीश दीक्षित के आवास पर शनिवार की रात में होली मिलन समारोह व वरिष्ठ साहित्यकार पंडित जगदंबा प्रसाद मिश्र “हितैषी” जी की याद में एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया।


जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में पधारे सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ हरिनारायण चौरसिया व मुख्य वक्ता डॉ रामनरेश सिंह यादव व विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवि दिनेश प्रियमन को हितैषी समिति की ओर से अंग वस्त्र व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पंडित जगदंबा प्रसाद मिश्र “हितैषी” जी के स्मारक स्थल पर लगी उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण करने के साथ ही उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर भी विशेष रूप से प्रकाश डाला गया।
कवि गोष्ठी की शुरुआत कवि अमोल सिंह “अमर” ने सरस्वती वंदना से की उसके बाद नौजवान कवि व शायर फजलुर्रहमान “फ़ज़्ल” बांगरमवी ने अपने कलाम तरन्नुम के साथ पढ़े जो काफी पसंद किए गए, उन्होंने होली पर पड़ा–” भुला के रंज दिलों को यह मिलाती होली, इसीलिए तो सभी दिल को है भाती होली। उसके बाद वतन पर शहीद होने वालों के लिए पढ़ा–” वतन का फर्ज निभाया वो काम कर डाला, शहीद होके शहीदों ने नाम कर डाला।। इसके बाद कवि अमोल सिंह “अमर’ ने पढ़ा–” दर्द को आसपास रहने दो, और दिल को उदास रहने दो। ये है लज्जत हमें अजीज अमर, तपते होठों पर प्यास रहने दो।। इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रसिद्ध शायर शमसुल हसन “शम्स” ने अपना कलाम पढ़ा–” मौज कनारा मांझी नैया या तुझको पतवार लिखूँ, बीच भंवर में तुझको लिखूँ या नदिया के पार लिखूँ। इसके बाद शायर जमालुद्दीन “जमाल” ने पढ़ा–” अपनी जुल्फों को सलीके से सवारो वरना, राह से अपनी मुसाफिर भी बहक सकता है। इसी क्रम में कवि डॉक्टर राम बिहारी वर्मा “करुणेश” ने पढ़ा–” जिंदगी एक अनुबंध है, उस पर सांसो का प्रतिबंध है। शायर बरकत अंसारी ने अपना कलाम कुछ यूं पढ़ा–” मोहब्बत वह समंदर है कि जिसमें, भंवर मिलते हैं बस साहिल नहीं है। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रामनरेश ने पढा–” चांद अपनी चांदनी से इस कदर डरने लगा, बादलों की दावतें बेवक्त फिर करने लगा। जिसे काफी सराहा गया। इसके बाद वरिष्ठ कवि दिनेश प्रियमन ने पढ़ा–” हम अमावस की रातिन मा बनिकै दिया, तुमरी देहरी पर तिलु तिलु जरेन राति भर। जिसे श्रोताओं ने खूब पसंद किया। इसके अलावा कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि डॉ सतीश दीक्षित, राघव मिश्र व शायर असगर बिलग्रामी ने भी अपने-अपने बेहतरीन कलाम सुना कर खूब वाहवाही लूटी। वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर हरिनारायण चौरसिया ने अपने संबोधन में कहा कि हितैषी जी साहित्य में जिस स्थान के अधिकारी हैं वह उन्हें मिलना चाहिए, इसके लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए। इस मौके पर शुभेंद्र कुमार दीक्षित, रामू शुक्ल, गोपाल रस्तोगी, पिंकू शुक्ला, आनंद प्रकाश जोशी सहित तमाम साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।
इस काव्य गोष्ठी का संचालन विनय दीक्षित ने किया।

 

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