अंडर-19 फाइनल क्रिकेट मुकाबले में क्षेत्र की बेटी ने करिश्मा कर दिखाया

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अंडर-19 फाइनल क्रिकेट मुकाबले में क्षेत्र की बेटी ने करिश्मा कर दिखाया

बांगरमऊ उन्नाव

रिपोर्ट जमीर खान
जिले की सीमा पर गंगा नदी के किनारे स्थित अविकसित गांव रतई पुरवा से निकलकर विश्व में अपना नाम रोशन करने वाली दाएं हाथ की आफ ब्रेक स्पिनर अर्चना देवी कच्चे मकान और छप्पर के नीचे बेहद गरीबी में पली-बढ़ी। पिता का साया बचपन में ही उसके सिर से उठ गया। किंतु आज साउथ अफ्रीका में बीते रविवार को हुए अंडर-19 फाइनल क्रिकेट मुकाबले में क्षेत्र की बेटी ने करिश्मा कर दिखाया। जो अब तक धनवान परिवार के लड़कों और लड़कियों को नसीब नहीं हो सका।
हालांकि विश्व विजेता क्रिकेटर अर्चना देवी अभी तक अपने गांव नहीं आ सकी है। फिर भी आज उसके घर पर मीडिया कर्मियों और ग्रामीणों का मेला लगा रहा। क्रिकेटर के गांव पहुंचने वाला प्रत्येक व्यक्ति आज अपनी विश्वविजेता बेटी पर गर्व महसूस कर रहा था।

करीब डेढ़ दशक पूर्व वर्ष 2007 में क्रिकेटर अर्चना देवी के पिता शिवराम निषाद का कैंसर जैसी घातक बीमारी से निधन हो गया था। उस समय अर्चना देवी मात्र 4 वर्ष की थी। पति की अचानक मौत से क्रिकेटर की मां सावित्री देवी को गहरा आघात लगा। वह इस गहरे सदमे से उबर भी नहीं पाई थी कि चंद महीनों बाद उसका छोटा पुत्र बुद्धिमान भी सर्पदंश से अचानक चल बसा। परिवार में ताबड़तोड़ दो-दो मौतों से मां सावित्री देवी के समक्ष एक पुत्र और एक पुत्री के पालन पोषण का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया।

ऐसे गंभीर संकट के समय अर्चना के चाचा सहित अन्य परिजनों ने विधवा सावित्री देवी की हौसला अफजाई की और उसे अपने पैरों पर खड़ा होने की सलाह दी। अंततः सावित्री देवी ने किसी तरह अपने पिता से पैसे लेकर एक गाय खरीदी और दूध बेचकर दोनों बच्चों का पालन पोषण करने लगी। पति की मौत के एक वर्ष बाद उसे बच्चों की पढ़ाई की चिंता सताने लगी। परिजनों ने जैसे तैसे अर्चना को गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में दाखिला कराया। बाद में कक्षा पांच उत्तीर्ण करने के बाद उसका नामांकन कस्बा गंज मुरादाबाद स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में कराया।

कहावत है कि ” होनहार बिरवान के, होत चिकने पात”। अर्चना विद्यालय के छोटे से ग्राउंड पर गेंद से स्टंप पर सटीक निशाना लगाने लगी। अर्चना की प्रतिभा देखकर केजीबी की शिक्षिका पूनम गुप्ता हतप्रभ रह गई। शिक्षिका ने उसे जमकर प्रोत्साहित किया और कक्षा आठ उत्तीर्ण करने के बाद शिक्षिका ने उसका दाखिला कानपुर क्रिकेट क्लब में करवा दिया। किंतु अब मां के समक्ष उसके प्रशिक्षण में पैसा आड़े आ गया। यह देख कर केजीबी की शिक्षिका ने ही अर्चना और उसकी मां का हौसला बढ़ाया और कहा कि प्रशिक्षण के दौरान हॉस्टल का खर्च वह स्वयं वहन करेगी। तब तो मानो प्रशिक्षण रत क्रिकेटर अर्चना के पंख लग गए और वह आसमान में उड़ने को बेताब हो उठी।

बीते रविवार की शाम क्रिकेटर अर्चना की टीम के अंडर-19 विश्व कप जीतने ही मां सावित्री देवी की आंखों से खुशी के आंसू झर-झर बहने लगे। बीते एक साल पूर्व तक गांव के जो लोग विधवा सावित्री देवी से सीधे मुंह बात नहीं करते थे। वह भी आज गांव की होनहार और विश्व विजेता बेटी पर गर्व महसूस कर रहे थे।
बीते रविवार को भारत की अंडर-19 महिला क्रिकेट टीम ने ज्यों ही विश्व कप अपनी झोली में किया, ग्रामीण खुशी से झूम उठे और पटाखे तथा आतिशबाजी छुड़ाकर जश्न मनाने लगे।

आज सुबह से ही क्रिकेटर अर्चना के घर पर मीडिया कर्मियों का जमघट लग गया। प्रत्येक मीडिया कर्मी अर्चना की मां सावित्री देवी की एक झलक पाने और उसकी फोटो अपने कैमरे में कैद करने को बेताब दिखाई दिया। उधर क्षेत्र के दूरदराज गांवों के लोग भी ग्राम रतई पुरवा आ धमके। आज क्रिकेटर अर्चना देवी के कच्चे मकान के आगे स्थित फूस के छप्पर के सामने ग्रामीणों का मेला जैसा दिखाई पड़ा।

बांगरमऊ उन्नाव।
विश्व विजेता क्रिकेटर अर्चना देवी का गांव क्षेत्र के बिल्हौर मार्ग पर स्थित भुड्डा चौराहा से मुन्नी पुरवा होते हुए गहर पुरवा रोड पर स्थित है। भुड्डा चौराहे से रतई पुरवा गांव करीब 3 किलोमीटर है। गांव से गंगा नदी मात्र 2 किलोमीटर दूर हैं। मार्ग इतना उबड़ खाबड़ है कि वाहन तो दूर साइकिल से भी चलना दूभर हो रहा है। गांव की अधिकांश आबादी अति पिछड़ी निषाद जाति के परिवारों की है। क्रिकेटर अर्चना देवी के परिवार सहित गांव के अधिकांश किसानों की खेती गंगा नदी की तलहटी में स्थित है। बरसात के मौसम में अक्सर गंगा नदी की बाढ़ आ जाने से खरीफ की फसल डूब कर बर्बाद हो जाती है। यहां के किसानों की प्रमुख आजीविका का साधन गंगा नदी की रेती में तरबूज व खरबूजा तथा ककड़ी आदि की खेती है। किंतु किसानों की इतनी आमदनी नहीं हो पाती है कि वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला सकें। ऐसी स्थिति में अधिकांश छात्र-छात्राएं कक्षा आठ उत्तीर्ण करने के बाद अपने घर बैठने और खेती बाड़ी करने को मजबूर हैं। इन सभी परिस्थितियों के चलते अति पिछड़ी निषाद जाति परिवार की पुत्री का विश्व पटल पर परचम लहराना आश्चर्यजनक लगता है।

बांगरमऊ उन्नाव।
क्षेत्र के ब्लॉक गंज मुरादाबाद अंतर्गत ग्राम गहर पुरवा से लेकर ब्लॉक बांगरमऊ के ग्राम कटरी गदनपुर आहार अंतर्गत मजरा चौगवां तक करीब 20 किलोमीटर लंबाई और करीब 10 किलोमीटर चौड़ाई के गंगा कटरी बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में एक भी राजकीय अथवा वित्त पोषित बालिका इंटर कॉलेज नहीं है। क्षेत्र के निषाद बिरादरी के नेता सत्यनारायण निषाद ने बताया कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से क्षेत्र की जनता बीते कई दशक पूर्व से गंगा कटरी क्षेत्र में एक बालिका इंटर कॉलेज स्थापित कराए जाने की मांग करते रहे है। किंतु अभी तक ग्रामीणों की यह महत्वपूर्ण मांग नक्कारखाने में तूती की आवाज ही साबित हुई है। उन्होंने दावा किया कि गंगा कटरी क्षेत्र में प्रतिभाओं की कतई कमी नहीं है। यदि गंगा और कल्याणी नदियों के दोआबा क्षेत्र में राजकीय इंटर और डिग्री कॉलेज स्थापित हो जाएं तो क्रिकेटर अर्चना देवी जैसी अनेक खेल प्रतिभाएं उभरकर देश और विश्व स्तर पर अपना परचम लहरा सकती हैं।

बांगरमऊ उन्नाव।
क्षेत्रीय विधायक श्रीकांत कटियार आज क्रिकेटर अर्चना देवी के गांव रतई पुरवा पहुंचे। उन्होंने अंग वस्त्र तथा भारत माता का चित्र भेंट कर क्रिकेटर की मां सावित्री देवी तथा भाई रोहित का अभिनंदन किया और उनका मुंह मीठा कराया। उन्होंने वादा किया कि अब अर्चना उनकी ही नहीं बल्कि पूरे विधानसभा क्षेत्र की बेटी है और वह उसे सीनियर महिला क्रिकेट टीम में खेलते देखना चाहते हैं। इसलिए क्षेत्र की बेटी को हर संभव मदद करेंगे। विधायक श्री कटियार ने यह भी बताया कि गंज मुरादाबाद के खंड विकास अधिकारी सुरेंद्र प्रताप सिंह से क्रिकेटर के परिवार को प्रधानमंत्री आवास प्रदान करने के लिए कह दिया गया है और जल्द ही अर्चना की मां सावित्री देवी के बैंक खाते में आवास का धन पहुंच जाएगा। विधायक श्री कटियार के साथ ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि अर्जुन लाल दिवाकर, चौधरी प्रमेश कुमार सिंह, जयपाल पटेल, रवेंद्र सिंह व धर्मेंद्र राजपूत मौजूद रहे।

बांगरमऊ उन्नाव।
अंडर-19 महिला क्रिकेट क्रिकेट खिलाड़ी अर्चना देवी की मां आज मीडिया कर्मियों के समक्ष अपना दुख भी प्रकट किया। उन्होंने बताया कि उनकी पुत्री अर्चना जब लड़कों जैसे कपड़े पहन कर क्रिकेट खेलती और दौड़ लगाती थी, तब उसे गांव वालों के ताने भी झेलने पड़ते थे। उसने कई बार अपनी पुत्री को समझाया भी कि वह लड़कियों के कपड़े पहने। लेकिन अर्चना ने ग्रामीणों की आलोचना को नकार दिया और अपनी मां से कहा कि वह दिन दूर नहीं जब आलोचना कर रहे गांव वाले उसकी जमकर प्रशंसा भी करेंगे। बातों बातों में अर्चना की मां सावित्री देवी सुबकते हुए बोली कि उसकी पुत्री अर्चना को चूल्हे की रोटी और आलू की सब्जी अधिक पसंद है। वह जब घर आएगी, तब उसे अपने हाथ की बनी चूल्हे की रोटियां और मनपसंद आलू की सब्जी परोसेगी।

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