सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फतेहपुर 84, गंजमुरादाबाद व रसूलपुर रूरी तथा नवनिर्मित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बल्लापुर व कुरसठ में मेडिकल व पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती कर तत्काल संचालित किए जाने की मांग

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फतेहपुर चौरासी, गंजमुरादाबाद व रसूलपुर रूरी तथा नवनिर्मित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बल्लापुर व कुरसठ में मेडिकल व पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती कर तत्काल संचालित किए जाने की मांग

 

बांगरमऊ उन्नाव 15 नवंबर 2022 ।

नवनिर्मित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फतेहपुर चौरासी गंजमुरादाबाद व रसूलपुर रूरी तथा नवनिर्मित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बल्लापुर व कुरसठ में मेडिकल व पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती कर तत्काल संचालित किए जाने की मांग फारूक अहमद एडवोकेट ने मुख्यमंत्री से की है।
मालूम हो कि तहसील क्षेत्र के ग्राम इस्माइलपुर आंबापारा निवासी उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ के वरिष्ठ अधिवक्ता तथा यश भारती सम्मान से सम्मानित प्रमुख समाजसेवी फारूक अहमद एडवोकेट ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ में जनहित याचिका दायर कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र फतेहपुर चौौरासी को उच्चीकृत कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कार्य कराया था। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने गंजमुरादाबाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को उच्चीकृत कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कराया था। ग्राम रसूलपुर रूरी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी निर्मित कराया गया है। उन्होंने कहा कि जनहित याचिकाओं के माध्यम से नगर पंचायत कुरसठ व ग्राम पंचायत बल्लापुर में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नवनिर्मित कराया है। उपरोक्त तीनों सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र वर्ष 2020- 21 में ही निर्मित हो चुके थे परंतु आज तक मेडिकल व पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती नहीं की जा सकी है, जबकि इसके लिए पद स्वीकृत हो चुके हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कुरसठ व बल्लापुर का निर्माण भी वर्ष 2020- 21 में हो चुका है और आज तक मेडिकल आफिसर व पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती नहीं की गई है। जबकि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मेडिकल ऑफिसर व पैरामेडिकल स्टाफ के पद स्वीकृत हो चुके हैं।
फारूक अहमद एडवोकेट ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में यह भी कहा है कि बांगरमऊ क्षेत्र में वर्तमान में वायरल फीवर व डेंगू जैसी भयंकर वा जानलेवा बीमारियां फैली हुई हैं। यदि उत्तर प्रदेश सरकार ने उपरोक्त सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मेडिकल ऑफिसर व पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती कर दी होती तो वायरल फीवर व डेंगू जैसी गंभीर बीमारियों पर आसानी से नियंत्रण पाया जा सकता था। एडवोकेट ने पत्र में आगे कहा है कि मेडिकल ऑफिसर व पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती न किए जाने के कारण क्षेत्रीय आम जनता सस्ती और सरकारी चिकित्सकीय सुविधाओं से वंचित है और क्षेत्रीय आम जनता को चिकित्सकीय सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। उन्होंने आगे कहा है कि भारत के संविधान को लागू हुए 72 साल से भी ज्यादा का समय व्यतीत हो चुका है, परंतु आज तक ग्रामीण क्षेत्रों की आम जनता को सस्ती एवं सरकारी चिकित्सकीय सुविधाएं सरकार द्वारा उपलब्ध नहीं कराई जा सकी हैं।
फारूक अहमद एडवोकेट ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि अतिशीघ्र उपरोक्त सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मेडिकल ऑफिसर व पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती कर संचालित करने की कृपा करें, जिससे स्थानीय आम जनता को सस्ती और सरकारी चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध हो सकें। यदि सरकार द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है तो वह उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ में जनहित याचिका दायर करने को बाध्य होंगे, जिसकी समस्त जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार की होगी। मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र की प्रतिलिपि उप मुख्यमंत्री (स्वास्थ्य मंत्री) उत्तर प्रदेश सरकार लखनऊ, अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ, महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य लखनऊ, जिलाधिकारी उन्नाव तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी उन्नाव को भी सूचनार्थ भेजी गई हैं।।

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